गुरु, गोबिंद और गूगल
क्षमा शर्मा वरिष्ठ पत्रकार कबीर जी का एक दोहा है- गुरु-गोबिंद दोऊ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरु आपने, गोबिंद दियो बताय।। गुरु की महिमा बताता इस दोहे का अर्थ है गुरु ने गोबिंद से मिलवाया, यहां गोबिंद से अर्थ भगवान के अलावा ज्ञान से भी है. लेकिन, आज के दौर में देखें, तो गुरु […]
क्षमा शर्मा
वरिष्ठ पत्रकार
कबीर जी का एक दोहा है- गुरु-गोबिंद दोऊ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरु आपने, गोबिंद दियो बताय।। गुरु की महिमा बताता इस दोहे का अर्थ है गुरु ने गोबिंद से मिलवाया, यहां गोबिंद से अर्थ भगवान के अलावा ज्ञान से भी है. लेकिन, आज के दौर में देखें, तो गुरु पाने के लिए कोई तपस्या, साधना या मेहनत नहीं करनी पड़ती. इंटरनेट ऑन कीजिए और क्लिक करते ही तरह-तरह के गुरु हाजिर हैं. इन्हें इकट्ठा किया है हमारे गूगल गुरु ने.
घर बैठे अमेरिका के किसी खास आदिवासी के बारे में जानना चाहते हैं, वहां के राष्ट्रपति के उम्मीदवार ट्रंप के बारे में पता करना है, अंतरिक्ष एजेंसी नासा में इन दिनों क्या चल रहा है, इंगलैड के किसी शहर में एक भुतहा घर है, चीन में ड्रैगन होता था कि नहीं, दुनिया की किस लैब में जीन इंजीनियरिंग से डायनासोर बनाया जा रहा है, भारत के कितने गांवों में बिजली पहुंच चुकी है, वेस्टर्न घाट के कितने जंगल बचे हैं, दुनिया में कितनी भाषाएं हैं, कितनी बोलियां हैं, कितनी लुप्त हो गयीं.
यही नहीं, सिलाई सीखनी है, दुनियाभर के खाने के बारे में जानकारी चाहिए, एक्सरसाइज, आयुर्वेद, अचार बनाना, यहां तक कि मकान बनाने, उसे सजाने की विधियां. इतने अथाह ज्ञान का भंडार अब से पहले पहले कभी नहीं देखा गया. जैसे पहले कोई जादूगर पलक झपकने से पहले ही अपनी जादू की छड़ी घुमा कर जो चाहो वह हाजिर कर सकता था, गूगल नामक गुरु ऐसा ही करता है.
एक परिचित ने बताया था कि हर रोज घर से निकलने से पहले वह नेट पर अपने उस दिन की भविष्यवाणी देखता है. एक पढ़ी-लिखी महिला है, मगर न जाने क्यों, वह गूगल पर देख कर अपने रोगों का इलाज करती है.
एलोपैथी, होमियोपैथी, आयुर्वेद, यूनानी, नेचरोपैथी, यहां तक कि घरेलू नुस्खों तक के लिए, वह इंटरनेट का सहारा लेती है. सिर्फ खुद ही नहीं सहारा लेती, आसपास कोई भी बीमार पड़ जाये, तो फौरन बीमारी के लक्षणों के आधार पर नेट सर्च करती है और उसे दवा बताने लगती है. हालांकि, लोग उसकी बतायी दवाएं कम खाते हैं, मगर वह बताने से बाज नहीं आती. उसका मानना है कि इस तरह से वह दूसरों की मदद करती है.
हालांकि, एक बहुत सीनियर डॉक्टर ने एक बार कहा था कि नेट पर देख कर अपना इलाज करना, खुद दवा खाना, खतरनाक हो सकता है. कभी भी सेल्फ मेडिकेशन नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे जान भी जा सकती है. दवाएं कितनी मात्रा में लेनी है, इस जानकारी के अभाव में दवाएं लेना नुकसानदेह भी हो सकता है. नीम-हकीम खतरा-ए-जान, मगर इस महिला को कोई फर्क नहीं पड़ता. कई बार लोग उसका मजाक भी उड़ाते हैं, मगर उसे कोई परवाह नहीं.
बहुत से ज्योतिषी भी कहते हैं कि हर आदमी के सितारे अलग होते हैं, इसलिए उनमें से हर एक का भविष्यफल भी अलग ही होगा. एक ही राशि में जन्मे दो व्यक्तियों का भविष्यफल अलग होता है. इसलिए नेट पर भविष्य देख कर अपने निर्णय नहीं लेने चाहिए.
हालांकि, जहां एक तरफ ज्योतिष और भविष्य पर लोग बहुत विश्वास करते हैं, वहीं दूसरी तरफ कहा जाता है कि मनुष्य अपना भविष्य खुद बनाता है. इसीलिए दुनिया में कर्म की प्रधानता पर जोर दिया गया है.
अगर किसान अपने खेत को जोतेगा-बोयेगा नहीं, सिंचाई और निराई–गुड़ाई पर ध्यान नहीं देगा, तो अच्छी फसल भी नहीं होगी- करम प्रधान विश्व रचि राखा, जो जस करिय, सो तसि फल चाखा.
इसीलिए हर बात के लिए किसी और का सहारा लेना, चाहे वह गूगल ही क्यों न हो, ठीक नहीं है. गुरु हमें ज्ञान दे सकता है, मगर इसका मतलब यह नहीं कि हम अपना सारा बोझ उसी पर डाल दें.