‘आप’ की सफलता क्षणिक

दिल्ली की सफलता से उत्साहित ‘आप’ ने लोकसभा चुनाव के लिए भी ताल ठोक दी है, लेकिन यहां प्रश्न उठता है कि ‘आप’ के ‘दर्शन’ में समुच कुछ जान है या भ्रष्टाचार और महंगाई से त्रस्त जनता के अंसतोष की यह क्षणिक परिणति मात्र है? अगर गौर से देखा जाये तो ‘आप’ की सफलता नये […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 31, 2014 3:59 AM

दिल्ली की सफलता से उत्साहित ‘आप’ ने लोकसभा चुनाव के लिए भी ताल ठोक दी है, लेकिन यहां प्रश्न उठता है कि ‘आप’ के ‘दर्शन’ में समुच कुछ जान है या भ्रष्टाचार और महंगाई से त्रस्त जनता के अंसतोष की यह क्षणिक परिणति मात्र है? अगर गौर से देखा जाये तो ‘आप’ की सफलता नये रिलीज फिल्मी गाने की तरह क्षणिक ही प्रतीत होती है.

उसकी विचारधारा में न तो कोई नयापन है और न ही देश के लिए कोई विजन! वह तो सस्ती लोकप्रियता हासिल करनेवाली, लोकलुभावन नीतियों और मार्केटिंग पर चलनेवाली मालूम पड़ती है. उसकी सफलता तालीपिटाऊ और फिल्मी प्रतीत होती है, जो वास्तविकता की कसौटी पर खरा नहीं उतरती तथा जिसके स्थायी होने की गारंटी नहीं दी जा सकती. वैकल्पिक राजनीति का दावा करनेवाली यह पार्टी क ई मुद्दों पर अब भी मौन क्यों है?

बिनोद कुमार मिंज, दाऊदनगर, गुमला

Next Article

Exit mobile version