नकल का हल
परीक्षा में नकल हमारी शिक्षा पद्धति के साथ-साथ परीक्षा पद्धति व व्यवस्था का छिपा रूप है. छात्र इस योग्य नहीं बन पा रहे हैं, जो व्यक्तिगत व मानसिक कुशलता और दक्षता से परिपूर्ण हो. उनका सतत और समग्र मूल्यांकन नहीं हो पाता है, जबकि प्रतियोगी परीक्षाओं के सारे उपकरण का उपयोग होता है. हमारी परीक्षा […]
परीक्षा में नकल हमारी शिक्षा पद्धति के साथ-साथ परीक्षा पद्धति व व्यवस्था का छिपा रूप है. छात्र इस योग्य नहीं बन पा रहे हैं, जो व्यक्तिगत व मानसिक कुशलता और दक्षता से परिपूर्ण हो. उनका सतत और समग्र मूल्यांकन नहीं हो पाता है, जबकि प्रतियोगी परीक्षाओं के सारे उपकरण का उपयोग होता है. हमारी परीक्षा पद्धतियां साधनहीन हैं. छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोचिंग संस्थानों की जरूरत पड़ रही है. उनका व्यक्तित्व कुंठित होता जा रहा है.
फलतः नकल की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है. छात्र आशावादी न होकर भाग्यवादी हो रहे हैं. बढ़ती बेरोजगारी इसका साक्षात प्रमाण है. सामान्य शिक्षा की तो छोड़िए, तकनीकी शिक्षा प्राप्त युवा बेरोजगार हैं. कहीं न कहीं भयंकर चूक हो रही है. सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है.
शुभम सुमित बड़ाईक, सिसई