कालाहांडी की घटना शर्मनाक

कालाहांडी की घटना ने मन को अवसाद से भर दिया है़ महात्मा गांधी ओडिशा के आदिवासियों की दयनीय स्थिति को देखकर द्रवित हो जाते थे और इसका उन्होंने बार-बार उल्लेख किया है़ डॉ राजेंद्र प्रसाद ने भी अपने पहले भाषण में कालाहांडी की दयनीय स्थिति का उल्लेख किया था़ पर दुर्भाग्यवश आज भी कालाहांडी के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 30, 2016 11:50 PM
कालाहांडी की घटना ने मन को अवसाद से भर दिया है़ महात्मा गांधी ओडिशा के आदिवासियों की दयनीय स्थिति को देखकर द्रवित हो जाते थे और इसका उन्होंने बार-बार उल्लेख किया है़
डॉ राजेंद्र प्रसाद ने भी अपने पहले भाषण में कालाहांडी की दयनीय स्थिति का उल्लेख किया था़ पर दुर्भाग्यवश आज भी कालाहांडी के आदिवासियों की स्थिति ज्यों की त्यों है़ गांधी के नाम पर चलने वाली योजना मनरेगा उनका जीवनस्तर सुधारने में नाकाफी साबित हुई है़
क्या कारण है कि कालाहांडी जो कभी धान का कटोरा कहा जाता था, 1943 के अकाल में जिसने बंगाल को चावल आपूर्ति की, आज दाने-दाने को तरस रहा है? दाना मांझी की घटना यह बताती है कि आजादी के 70 वर्षों के बाद भी कालाहांडी वहीं का वहीं पड़ा हुआ है़ किसी को फुरसत नहीं उसकी सुध लेने की!
संतोष सिंह, रिषड़ा, हुगली

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