कोचिंग संस्थानों की मनमानी का सच

अक्सर, खबरों में कोचिंग संस्थानों की मनमानी की बात होती रहती है. सरकार भी इन संस्थानों पर लगाम कसनेवाले तरीके खोज रही है. यह सच है कि अधिकांश कोचिंग संस्थान शिक्षा का बाजार चलाते हैं, पर इस काले सच के पीछे का कड़वा सच यह है कि हमारे अधिकतर पब्लिक स्कूल भी अपने छात्रों को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 5, 2016 5:41 AM
अक्सर, खबरों में कोचिंग संस्थानों की मनमानी की बात होती रहती है. सरकार भी इन संस्थानों पर लगाम कसनेवाले तरीके खोज रही है. यह सच है कि अधिकांश कोचिंग संस्थान शिक्षा का बाजार चलाते हैं, पर इस काले सच के पीछे का कड़वा सच यह है कि हमारे अधिकतर पब्लिक स्कूल भी अपने छात्रों को उस लेवल की पढ़ाई कराने में अक्षम हैं, जिसकी जरूरत जेइइ, नीट जैसे प्रतियोगिता परीक्षाओं को पास करने के लिए होती है. कोचिंग संस्थानों का बोलबाला इसीलिए है. अधिकांश स्कूल 11वीं व 12वीं के छात्रों को भी को-करीकुलर एक्टिविटी में उलझाये रखते हैं.
वहीं अच्छे कोचिंग छात्रों को कंसेप्ट समझाते हैं, इसलिए कोचिंग संस्थान छात्रों के सपनों को सच कराने का जरिया बनते जा रहे हैं. इन पर लगाम कसने के लिए विद्यालयों को अपना ज्यादा ध्यान छात्रों के कंसेप्ट बनाने पर लगाना चाहिए़ इससे कोचिंग की जरूरत के साथ-साथ उनकी मनमानी भी समाप्त होगी.
संजना शिप्पी, बरियातु, रांची

Next Article

Exit mobile version