गरीबी के आधार पर हो आरक्षण
अब आरक्षण गरीबी के आधार पर होना चाहिए. ऐसे लोग कारण बताते हैं कि जातिगत आरक्षण में साधन संपन्न लोग या योग्य लोग दूसरे का हक मार लेते हैं. इसीलिए ये गरीबी के आधार पर ही होना चाहिए. लेकिन, मैंने गहराई में जा कर सोचने का प्रयास किया, तो मुझे लगा आरक्षण होना ही नहीं […]
अब आरक्षण गरीबी के आधार पर होना चाहिए. ऐसे लोग कारण बताते हैं कि जातिगत आरक्षण में साधन संपन्न लोग या योग्य लोग दूसरे का हक मार लेते हैं. इसीलिए ये गरीबी के आधार पर ही होना चाहिए. लेकिन, मैंने गहराई में जा कर सोचने का प्रयास किया, तो मुझे लगा आरक्षण होना ही नहीं चाहिए. क्योंकि, आप अयोग्यों के हाथ में कमान दे रहे हैं.
चाहे वह श्रम बौद्धिक श्रेणी में हो या शारीरिक श्रेणी में वह क्षेत्र पीछे ही रहेगा. योग्य लोगों को छांटना और अयोग्यों को चुनना, यह कहां का न्याय है. यह कौन-सा सिद्धांत है. क्या ऐसी सोचवाला देश, समाज कभी आगे बढ़ पायेगा. रही बात गरीबी कि तो क्या आप किसी गरीब,अपाहिज को देख कर अपना दामाद बना लेते हैं?
या यथायोग्य मदद देते हैं? बस यही काम गरीबों, अपाहिजों के साथ सरकार,समाज को करना चाहिए. अब रही बात कोई भी पार्टी की, तो सरकार लगभग नहीं ही इसे लागू करेगी. कारण है इसका आरक्षित जातियां कभी भी उस पार्टी को स्वीकार नहीं करेगी. मजबूरी चाहे जैसी भी हो, लेकिन इसमें देश का ही बुरा हो रहा है. चीन में भले ही तानाशाही हो, लेकिन वहां चुनाव योग्यतम का होता है, किसी गरीब या खास का नहीं.
चंदन भैया, ई-मेल से