फिलहाल युद्ध सही विकल्प नहीं
उड़ी हमले के बाद पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को लेकर देश की आमजनता के विचारों में बड़ा बदलाव आया है. इसकी वजह है. दरअसल, केंद्र में भाजपा की सरकार बनने से पहले पाकिस्तान को लेकर भाजपा ने कांग्रेस की आलोचना करते हुए आम जनता में यह विश्वास जगाया था कि सरकार बनेगी, तो उसे सबक सिखाया […]
उड़ी हमले के बाद पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को लेकर देश की आमजनता के विचारों में बड़ा बदलाव आया है. इसकी वजह है. दरअसल, केंद्र में भाजपा की सरकार बनने से पहले पाकिस्तान को लेकर भाजपा ने कांग्रेस की आलोचना करते हुए आम जनता में यह विश्वास जगाया था कि सरकार बनेगी, तो उसे सबक सिखाया जायेगा. आम जनता को भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से उम्मीदें ज्यादा थीं कि भाजपा की सरकार बनेगी और पाकिस्तान से सारे मसले हल हो जायेंगे. लेकिन बीते कुछ महीनों में इस उम्मीद को कुछ धक्का सा लगा है. ऐसे में कोई भी चुनी हुई सरकार अपनी जनता के विचारों के खिलाफ जाने से बचेगी ही.
मीडिया ने भी इस स्थिति को समझा और उसने पाकिस्तान से युद्ध लड़ने, उसे सबक सिखाने की बात करने लगा. दरअसल, पठानकोट के बाद उड़ी के फौजी ठिकाने पर इस फिदायीन हमले का अर्थ भारतीय मीडिया ने (खासतौर से न्यूज चैनलों ने) यह निकाला कि यह भारत पर हमला है. राजनीतिक दलों को भी यही चाहिए था, उन सबने भी कुछ इसी तरह से मीडिया से मिले-जुले विचार रखे और इसे भारत पर हमला कह कर प्रचारित किया. हालांकि, सरकार यह जानती है कि ऐसे हमलों का फौरन बदला लिया भी नहीं जा सकता.
इसमें कोई शक नहीं कि उड़ी हमले के पीछे पाकिस्तान है, क्योंकि इस तरह का हमला बिना किसी खुफिया एजेंसी की मदद के संभव ही नहीं है. फिदाियनों को मिनट-दर-मिनट सूचनाएं और निर्देश मिले होंगे कि कहां, कैसे, किस तरह से जाना है और कब क्या करना है. फिदाियनों की ट्रेनिंग स्पेशल टास्क फोर्स के कमांडोज की तरह होती है- कि घुसना है, मारना है और खुद भी मरना है. यही वजह है कि फिदायीन हमलों को रोक पाना थोड़ा मुश्किल होता है. जो लाेग पाकिस्तान से आर-पार की लड़ाई की बात कर रहे हैं, वे मुगालते में हैं कि युद्ध से पाकिस्तान बरबाद हो जायेगा. लेकिन, वे लोग यह नहीं समझते कि युद्ध किसी भी मसले का हल है ही नहीं. दूसरी बात यह है कि कुछ लोग लिमिटेड वॉर (सीमित युद्ध) की भी बात कर रहे हैं. लेकिन, जिस तरह से पाकिस्तान ने छद्म युद्ध छेड़ रखा है, ऐसे में अगर भारत लिमिटेड वॉर भी करता है, तो इसकी संभावना ज्यादा है कि पाकिस्तानी सेना पूरी तरह से युद्ध पर ही उतर आये. क्योंकि, पाकिस्तानी सेना का स्वरूप जेहादियों जैसा है. ऐसे में हमारी सरकार को इन सब हालात को समझ कर ही किसी निर्णय पर पहुंचना होगा.
जहां तक सीएजी की रिपोर्ट की बात है कि भारत के पास गोला-बारूद की भारी कमी है, तो मैं यह नहीं समझता कि सीएजी की यह रिपोर्ट पूरी तरह से सही है. भारत के पास हथियार-गोला-बारूद की कमी नहीं है. सामरिक तैयारियों के मामले में भारत की तुलना पाकिस्तान के बजाय चीन से की जाती है कि चीन के पास भारत से कहीं ज्यादा हथियार हैं और वह लगातार इसे बढ़ाता भी जा रहा है. इसलिए भारत की चुनौती चीन के सामने है. यहां पाकिस्तान से भारत की चुनौती इस ऐतबार से है कि अगर भारत-पाक युद्ध होता है, तो इसमें चीन की क्या भूमिका होगी. इसमें कोई शक नहीं कि अगर भारत-पाक युद्ध होता है तो चीन फौरन ही पाकिस्तान को हथियार सप्लाई कर देगा. उसके बाद चीन यह भी चाहेगा कि भारत-पाक युद्ध लंबा चलता रहे. जैसे अमेरिका ने ईरान-इराक युद्ध में किया था. अमेिरका कभी ईरान को तो कभी इराक को हथियार सप्लाई करता रहा और ईरान-इराक आपस में आठ साल तक लड़ते रहे. ऐसे में भारत के लिए पाकिस्तान से युद्ध के बारे में सोचना किसी भी ऐतबार से अच्छा नहीं होगा.
भारत के लिए पाकिस्तान भले मोस्ट फेवर्ड नेशन हो, लेकिन पाकिस्तान यह नहीं मानता कि भारत भी उसके लिए मोस्ट फेवर्ड नेशन है. भारत का पाक के साथ सिर्फ ढाई बिलियन का व्यापार है, जिसका भारत के लिए कोई मायने नहीं है. हां, अगर भारत-पाक के बीच व्यापार बढ़ता है, तो इससे राजनीतिक संबंध सुधरने में कुछ मदद मिल सकती है.
इस वक्त अमेरिका में संयुक्त राष्ट्र जनरल एसेंबली का सत्र चल रहा है. इस सत्र में पाकिस्तान को लेकर भारत को एक बड़ा डेलीगेशन वहां भेजना चाहिए. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज तो वहां हैं ही, कई और मंत्रियों को भी वहां जाना चाहिए, ताकि अलग-अलग देशों के डेलीगेशन से वे मिल सकें और पाकिस्तान के खिलाफ भारत के पक्ष में एक समर्थन तैयार कर सकें. यह एक अच्छा मौका है और भारत को इस मौके का फायदा उठाते हुए वहां आये डेलीगेशनों से पाकिस्तान को एक टेररिस्ट स्टेट घोषित करने की मांग करनी चाहिए. ऐसा न भी हो सके, तो पाकिस्तानी सेना के ऊपर प्रतिबंध का दबाव बनाया जाना चाहिए. हथियारों को लेकर पाकिस्तान पर भी वैसा ही प्रतिबंध लगना चाहिए, जैसा ईरान पर अमेरिका ने लगाया था. क्योंकि बिना अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दखल के पाकिस्तान नहीं सुधरनेवाला है. लेकिन हां, युद्ध कोई हल नहीं है.
(वसीम अकरम से बातचीत पर आधारित)
कमर आगा
रक्षा विशेषज्ञ
qamar_agha@yahoo.com