गिरने से पहले ही गिराये जाएं पुल

हाल के दिनों में रेलवे स्टेशनों पर पुल के ध्वस्त होने की कई घटनाएं घटित हुईं. करीब एक महीना पहले ही मुजफ्फरपुर में ऐसा वाकया हुआ था. तब दर्जनभर लोग घायल हुए थे. सोमवार की शाम ऐसा एक और हादसा समस्तीपुर स्टेशन पर हुआ. यह अलग बात है कि इस घटना में किसी की जान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 5, 2014 3:57 AM

हाल के दिनों में रेलवे स्टेशनों पर पुल के ध्वस्त होने की कई घटनाएं घटित हुईं. करीब एक महीना पहले ही मुजफ्फरपुर में ऐसा वाकया हुआ था. तब दर्जनभर लोग घायल हुए थे. सोमवार की शाम ऐसा एक और हादसा समस्तीपुर स्टेशन पर हुआ. यह अलग बात है कि इस घटना में किसी की जान नहीं गयी. ऐसा सिर्फ संयोग ही रहा. हादसा जिस तरह का है, उसमें जान जा सकती थी.

भविष्य में भी ऐसी घटनाएं होती रहीं, तो मुश्किल होगा. ऐसे हादसों में जान जायेगी नहीं, इसकी गारंटी संभव नहीं. बहुत दिन की बात नहीं है, जब महाकुंभ के दौरान इलाहाबाद में स्टेशन ओवरब्रिज हादसे में दर्जनों जानें चली गयी थीं. दिसंबर 2006 में भागलपुर में क्या हुआ? तीन दर्जन से अधिक लोग मारे गये थे. तब हावड़ा-जमालपुर ट्रेन पर ओवरब्रिज गिरा था. भागलपुर, मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर में हुए हादसे ऐसी घटनाओं के सिलसिले की चंद कड़ी मात्र हैं. अगर इन हादसों से सबक नहीं लिया गया, तो आनेवाले दिनों में और घटनाएं हो सकती हैं.

बिहार के कई स्टेशनों पर ऐसे पुल मिल जायेंगे, जो बुरी तरह जजर्र हैं. परित्यक्त अवस्था में हैं. कभी भी धराशायी हो सकते हैं. ऐसी बात भी नहीं कि इसकी जानकारी किसी को नहीं हो. अगर नहीं हो, तो यह और भी गंभीर है. वैसे, रेलवे में जिन लोगों के कंधों पर फुट ओवरब्रिज को बनाने, बनाये रखने और इनकी मियाद पूरी होने पर तोड़ने या हटाने का दायित्व रहता है, उन्हें तो इन पर नजर रखनी ही चाहिए. पर, हाल के हादसों से लगता नहीं कि इस मामले में रेलवे या स्थानीय प्रशासन चौकस है. ऐसे मामलों में तो हादसे के बाद स्थानीय प्रशासन की भी जिम्मेवारी और भी बढ़ जाती है. ऐसी घटनाओं के बाद की स्थिति से रेलवे ही नहीं, सब प्रभावित होते हैं. ऐसे में बेहतर यह कि समय रहते इन हादसों को रोका जाये.

ऐसा क्यों नहीं हो सकता कि ऐसे ओवरब्रिज बनने के साथ ही इनकी मियाद भी सार्वजनिक कर दी जाये. इन पर ही लिख कर लगा दिया जाये. ऐसे ओवरब्रिज कितना भार सह सकते हैं, इसका जिक्र इन पर क्यों नहीं रह सकता? इससे इन पर आते-जाते लोग भी स्थिति को देख-समझ कर सावधान रह सकते हैं. हादसे टल सकते हैं. पर, त्वरित कदम उठाते हुए सबसे पहले रेलवे स्टेशनों पर जजर्र हो चुके ओवरब्रिजों की पहचान करना, उन्हें हटाना और उनका विकल्प तैयार करना आवश्यक है.

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