प्रशासनिक विफलता से राज्य बेहाल

बिहार से झारखंड विकास के नाम पर अलग हुआ था, ताकि उसका लाभ यहां के मूलवासियों को मिले. लेकिन आज झारखंड फिसड्डी राज्यों की कतार में खड़ा है. जबकि यहां की धरती रत्नगर्भा है. उद्योग घराने यहां निवेश करने को सहर्ष तैयार हैं, बशर्ते उन्हें राजनीतिक और सामाजिक संरक्षण मिले. यह संरक्षण उन्हें देगा कौन? […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 7, 2014 5:10 AM

बिहार से झारखंड विकास के नाम पर अलग हुआ था, ताकि उसका लाभ यहां के मूलवासियों को मिले. लेकिन आज झारखंड फिसड्डी राज्यों की कतार में खड़ा है. जबकि यहां की धरती रत्नगर्भा है. उद्योग घराने यहां निवेश करने को सहर्ष तैयार हैं, बशर्ते उन्हें राजनीतिक और सामाजिक संरक्षण मिले. यह संरक्षण उन्हें देगा कौन? सरकार ही न! लेकिन यहां सरकार कहां है?

आये दिन छोटी-छोटी बातों पर झारखंड बंद होता है और सरकार मूकदर्शक बन कर तमाशा देखती है. जिस राज्य में सरकार की बागडोर तरह-तरह के माफियाओं के हाथ में हो, वह राज्य कैसे विकास कर सकता है? यहां बेरोजगारी और पलायन बढ़ता जा रहा है. आज भी झारखंड का शोषण अपने ही पोषकों द्वारा किया जा रहा है. जब तक यहां सुरक्षित वातावरण नहीं बनेगा, तब तक राज्य बीमार रहेगा और आम जनता बेहाल रहेगी.

सतीश कुमार सिंह, रांची

Next Article

Exit mobile version