पाक सरकार की बौखलाहट

भारत के सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाक सेना और सरकार किस कदर घबरायी हुई है, इसका एक संकेत पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन के पत्रकार पर लगी पाबंदियों से भी मिलता है. डॉन ने पिछले दिनों पत्रकार साइरिल अल्मीडा की खबर पहले पेज पर छापी थी, जिसमें बताया गया था कि प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 13, 2016 12:20 AM
भारत के सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाक सेना और सरकार किस कदर घबरायी हुई है, इसका एक संकेत पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन के पत्रकार पर लगी पाबंदियों से भी मिलता है.
डॉन ने पिछले दिनों पत्रकार साइरिल अल्मीडा की खबर पहले पेज पर छापी थी, जिसमें बताया गया था कि प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों से कहा है कि ‘सैन्य नेतृत्व द्वारा आतंकियों को दिये जा रहे समर्थन के चलते पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग पड़ रहा है.’ इस खबर से बौखलाये पाक सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ ने सोमवार को प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से उनके आवास पर मुलाकात की. इस दौरान कई वरिष्ठ मंत्री व अधिकारी भी थे. इसमें सभी ने कहा कि डॉन की रिपोर्ट से संदेश गया है कि पाक सरकार और सेना के बीच नीतियों को लेकर टकराव है.
इस पर सरकार ने कार्रवाई के आदेश दिये और पत्रकार अल्मीडा के देश छोड़ने पर पाबंदी लगा दी गयी. हालांकि, डॉन अपनी खबर पर कायम है. अखबार ने संपादकीय में दो टूक लिखा है कि एक अखबार का प्राथमिक दायित्व है अपने पाठकों तक सही सूचना पहुंचाना. हालिया इतिहास गवाह है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर दुनियाभर में सरकारें अपने निहित स्वार्थों पर परदा डालती रही हैं.
मीडिया ने बार-बार इससे परदा उठाया है, कभी पनामा पेपर्स के रूप में, कभी विकीलीक्स के रूप में, कभी एडवर्ड स्नोडन के खुलासे के रूप में तो कभी किसी और रूप में. पाकिस्तान में तो मीडिया सैन्य शासन के लंबे दौर में न्यूनतम आजादी के लिए भी संघर्ष करता रहा है. ऐसे में लोकतंत्र की मजबूती के लिए सरकार को मीडिया पर पाबंदी लगाने की बजाय नीतियों में पारदर्शिता लानी चाहिए.
कुछ दिन पहले पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने भी वाशिंगटन में एक इंटरव्यू में कहा था कि पाकिस्तान में आजादी के बाद से ही सेना अहम भूमिका निभाती आयी है, क्योंकि तथाकथित लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गयी सरकारें कुशासन देती रही हैं. भारत तो शुरू से कहता रहा है कि पाकिस्तान में शक्ति के कई केंद्र हैं. जाहिर है, पाकिस्तान जब तक इस आरोप से मुंह चुराता रहेगा, न तो अपने नागरिकों को आतंकवाद के दंश से मुक्ति दिला पायेगा, न ही दुनिया की नजर में ‘आतंकवाद के पोषक राष्ट्र’ की अपनी छवि से पीछा छुड़ा पायेगा.

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