तलाक! तलाक और तलाक

‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स’ में 97वें स्थान पर खड़े इस देश के लोगों के सामने यूनिफाॅर्म सिविल कोड विषय पर कुछ सवाल रख दिये गये हैं. सवाल यह है कि क्या 130 करोड़ लोगों को देश में अलग-अलग रीति-रिवाज कानून और पर्सनल लॉज या सिविल कोड की जानकारी है? क्या सिविल कोड हंगर इंडेक्स की दुनिया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 17, 2016 5:36 AM
‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स’ में 97वें स्थान पर खड़े इस देश के लोगों के सामने यूनिफाॅर्म सिविल कोड विषय पर कुछ सवाल रख दिये गये हैं. सवाल यह है कि क्या 130 करोड़ लोगों को देश में अलग-अलग रीति-रिवाज कानून और पर्सनल लॉज या सिविल कोड की जानकारी है? क्या सिविल कोड हंगर इंडेक्स की दुनिया में हमारी जगह में कोई सुधार कर सकता है.
इन सवालों के लिए संपन्न और संभ्रांत लोग ही क्यों काफी समझे जायेंगे जबकि भूखमरी और कुपोषण के डरावने आंकड़े भी बराबरी का हक लिये मुंह बाये खड़े हैं. ऐसे सवाल ही क्यों जिसके बारे में ज्यादातर लोग जानते ही न हों? माना सभी सुधारों के साथ यह भी जरूरी है, मगर सवाल महज पर्सनल लॉज और तीन तलाक के इर्द-गिर्द ही क्यों घूमता नजर आता है? सवाल पूछने वालों से ही पूछा जायेगा कि सिविल कोड के बदलाव से समाज में मौजूद गैरबराबरी से हमें आजादी मिल पायेगी या फिर तलाक! तलाक और तलाक पर आ कर सियासत थम जायेगी?
एमके मिश्रा, रांची

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