कालेधन पर लगाम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि सरकार हजारों करोड़ रुपये का कालाधन बाहर लाने में कामयाब हुई है. बीते दिनों आय की स्वैच्छिक घोषणा योजना के तहत 64,275 लोगों ने 65,250 करोड़ रुपये की आय के बारे में जानकारी दी है. इस राशि के साथ कल्याणकारी योजनाओं और अनुदान के रूप में दिये जानेवाले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 24, 2016 5:27 AM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि सरकार हजारों करोड़ रुपये का कालाधन बाहर लाने में कामयाब हुई है. बीते दिनों आय की स्वैच्छिक घोषणा योजना के तहत 64,275 लोगों ने 65,250 करोड़ रुपये की आय के बारे में जानकारी दी है.
इस राशि के साथ कल्याणकारी योजनाओं और अनुदान के रूप में दिये जानेवाले धन में सीधे लाभुक के खाते में देने से 36 हजार करोड़ का नुकसान बचा लेने के आंकड़े को जोड़ते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि ये एक लाख करोड़ रुपये बिना किसी दबाव और कठोर तरीके के वित्तीय मुख्यधारा में लाये गये हैं, और यदि सरकार कालेधन पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ करेगी, तो बहुत अधिक रकम हासिल कर सकती है. इस बयान को सरकार के भावी कदमों के संकेत के तौर पर देखा जाना चाहिए. स्वैच्छिक घोषणा योजना के दौरान ही कह दिया गया था कि इसके बाद सरकार कालेधन को छिपानेवालों और कर चोरों के साथ कोई रियायत नहीं बरतेगी.
सत्ता में आने के तुरंत बाद से ही मोदी सरकार ने कालेधन की जटिल समस्या से निबटने के लिए अनेक पहलें की हैं. विशेष जांच दल का गठन, विभिन्न देशों से कर समझौतों में संशोधन, कालेधन को रोकने के लिए कानून बनाने, स्रोत पर ही कर वसूली करने, अचल संपत्ति खरीद-बिक्री के नियमों में बदलाव तथा स्वैच्छिक घोषणा योजना जैसे कदमों से यह उम्मीद बंधी है कि अर्थव्यवस्था के विकास में बाधक इस कठिनाई पर जल्दी ही काफी हद तक काबू पा लिया जायेगा. बेनामी लेन-देन को रोकने के लिए एक विधेयक भी संसद में विचाराधीन है.
एंबिट कैपिटल रिसर्च की हालिया रिपोर्ट में आकलन किया गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में कालेधन की हिस्सेदारी 30 लाख करोड़ के करीब है, जो कि हमारे सकल घरेलू उत्पादन का लगभग 20 फीसदी भाग है. इस अध्ययन में यह भी रेखांकित किया गया है कि सरकार की विभिन्न कोशिशों का सकारात्मक असर दिखने शुरू हो गये हैं. जमीन और रियल इस्टेट की कीमतें कम हुई हैं और सोना-चांदी खरीदने की प्रवृत्ति में भी गिरावट हो रही है. कालाधन के निवेश के ये सबसे आसान रास्ते माने जाते हैं.
हालांकि, इससे नकदी लेन-देन बढ़ा है, जिसकी वजह से बैंकों की जमा राशि कम हुई है तथा डेबिट कार्ड के इस्तेमाल में नरमी आयी है. उम्मीद है कि सरकार इस दिशा में अपनी सक्रियता जारी रखेगी, ताकि अर्थव्यवस्था में वृद्धि की मौजूदा दर को बढ़ाया जा सके और वित्तीय वातावरण को दीर्घकालीन स्थायित्व दिया जा सके.

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