राज्य को सुलगाने की कोशिश

हमारा झारखंड शांतिप्रिय जगह है, लेकिन कुछ राजनीतिज्ञों की वजह से हमारे प्रदेश को गलत हवा दी जा रही है़ यह झारखंड की स्थिरता के लिए ठीक नहीं कहा जा सकता़ गत दिनों 22 अक्तूबर को रांची के मोरहाबादी मैदान में आयोजित आदिवासी आक्रोश रैली के कई छिपे संदेश उजागर होते हैं, इसके साथ ही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 25, 2016 5:10 AM
हमारा झारखंड शांतिप्रिय जगह है, लेकिन कुछ राजनीतिज्ञों की वजह से हमारे प्रदेश को गलत हवा दी जा रही है़ यह झारखंड की स्थिरता के लिए ठीक नहीं कहा जा सकता़ गत दिनों 22 अक्तूबर को रांची के मोरहाबादी मैदान में आयोजित आदिवासी आक्रोश रैली के कई छिपे संदेश उजागर होते हैं, इसके साथ ही राज्य में किसी राजनीतिक षड्यंत्र की बू नजर आती है़
गोला और बड़कागांव के बाद पुनः मुरहू में आम जन पुलिस से भिड़े और एसपी-थानेदार को बांध कर पीटा गया़ फलतः पुलिस फायरिंग हुई़ आखिर सभी आयोजनों में निर्दोष लोगों को उकसा कर पुलिस पर हमला किया गया, जो सुनियोजित साजिश की ओर इशारा करता है़ मुरहू में तो नक्सलियों को पुलिस से भिड़ने की खबरें आयीं हैं.
सीएनटी-एसपीटी कानूनों के आड़ में कुछ विपक्षी आदिवासी नेता झारखंड को सुलगाने का कुचेष्टा कर रहे हैं. विदित हो कि जो भी लोग भोली-भाली जनता को बरगलाकर अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन बनाने में लगे हैं, दरअसल वो नेता राजनीति के मैदान में पिटे हुए प्यादे हैं जो आज सीएनटी-एसपीटी कानूनों की आड़ लेकर अपनी राजनीति को नयी धार देना चाहते हैं. हम सबको चाहिए कि छलावे से बचें और विवेक से राज्य के विकास में योगदान दें.
नारायण कैरो, लोहरदगा

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