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कारोबारी माहौल से निराशा

मोदी सरकार ने देश में बेहतर कारोबारी माहौल सुधारने की दिशा में जीएसटी, इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, कंपनियों के पंजीकरण के लिए एकल खिड़की के अलावा एकीकृत डाटाबेस और दस्तावेज के डिजिटलीकरण जैसे कई महत्वपूर्ण एवं महत्वाकांक्षी कदम उठाये हैं. इन सुधारों के बूते सरकार अगले दो वर्षों में व्यापार सुगमता सूचकांक (ईज ऑफ डूइंग […]

मोदी सरकार ने देश में बेहतर कारोबारी माहौल सुधारने की दिशा में जीएसटी, इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, कंपनियों के पंजीकरण के लिए एकल खिड़की के अलावा एकीकृत डाटाबेस और दस्तावेज के डिजिटलीकरण जैसे कई महत्वपूर्ण एवं महत्वाकांक्षी कदम उठाये हैं.

इन सुधारों के बूते सरकार अगले दो वर्षों में व्यापार सुगमता सूचकांक (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स) में टॉप 50 में पहुंचने का ख्वाब देख रही है. ऐसे में विश्व बैंक द्वारा जारी ‘डूइंग बिजनेस रिपोर्ट 2017’ में भारत को 190 देशों की सूची में 130वें पायदान पर रखा जाना निराश करनेवाला है.

यानी व्यापार सुगमता के मामले में हम साल भर पहले जहां खड़े थे, आज भी लगभग वहीं हैं. रिपोर्ट के विभिन्न पहलुओं पर गौर करने पर इतना तो स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री का लक्ष्य भले ही 2018 में टॉप 50 में पहुंचने का हो, सुधारों की मौजूदा गति से यह संभव नहीं है. हालांकि, सरकार का दावा है कि उसके द्वारा लागू 12 प्रमुख सुधारों का अभी संज्ञान ही नहीं लिया गया है. दरअसल, किसी देश में कारोबारी माहौल मापने की प्रक्रिया लंबी होती है, जिसमें सतत सुधार की गुंजाइश बनी रहती है.

ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि हाल के सुधारों का सकारात्मक असर अगामी वर्षों में दिखेगा. दूसरी बात, विश्व बैंक जैसी वैश्विक संस्थाओं की रिपोर्ट तुलनात्मक अध्ययन पर तैयार होती है. संभव है कि दूसरे देशों ने भी सुधार के कुछ कदम उठाये हों.

यह भी संभव है कि विभिन्न स्रोतों से जुटाये आंकड़े अद्यतन न हों, लेकिन यह बात सभी देशों पर लागू होती है. विश्व बैंक व्यापार शुरू करने, निर्माण परमिट हासिल करने, बिजली प्राप्त करने, संपत्ति के पंजीकरण, कर्ज प्राप्त करने, अल्प अंश के निवेशकों का संरक्षण, करों के भुगतान, अनुबंधीकरण और अक्षमताओं के समाधान जैसे 10 प्रमुख मानदंडों के आधार पर रिपोर्ट तैयार करता है. उक्त सभी मानकों पर भारत की स्थिति निराशाजनक है.

बिजली प्राप्त करने, अनुबंध लागू करने और संपत्तियों के पंजीकरण के मामले में जहां मामूली सुधार हुआ है, वहीं अल्प अंश के निवेशकों के संरक्षण और कर्ज प्राप्त करने जैसे मानदंडों पर हमारा फिसलना चिंताजनक है. निश्चित ही भारत तेजी से विकसित होती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है, लेकिन विकास और सुधारों के पथ पर हमें कई प्रतिद्वंद्वियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा करनी है. ऐसे में कारोबारी माहौल के लिहाज से एक बेहतर देश के रूप में पहचान बनाने में न केवल केंद्र को, बल्कि राज्यों सरकारों को बड़ी भूमिका निभानी होगी.

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