कृत्रिम बुद्धिमत्ता का भावी दौर
आकार पटेल कार्यकारी निदेशक, एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया विशेषज्ञगण ‘टेक्नोलॉजिकल सिंगुलैरिटी’ यानी तकनीकी एकलता जैसी एक स्थिति के आगमन की भविष्यवाणी कर रहे हैं. साधारण शब्दों में यह दो बातों को संदर्भित करता है. पहली बात यह है कि भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता), जो कि मनुष्यों से अधिक तीक्ष्ण है, रची जायेगी. और, दूसरी […]
आकार पटेल
कार्यकारी निदेशक, एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया
विशेषज्ञगण ‘टेक्नोलॉजिकल सिंगुलैरिटी’ यानी तकनीकी एकलता जैसी एक स्थिति के आगमन की भविष्यवाणी कर रहे हैं. साधारण शब्दों में यह दो बातों को संदर्भित करता है. पहली बात यह है कि भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता), जो कि मनुष्यों से अधिक तीक्ष्ण है, रची जायेगी. और, दूसरी बात यह कि यह बुद्धिमत्ता समस्याओं के समाधान बहुत तीव्रता से कर सकेगी, जो कि मनुष्य की क्षमता से परे है.
भविष्य में होनेवाला यह परिवर्तन इतना जोरदार होगा, जैसा कि इन विशेषज्ञों द्वारा अनुभूति की जा रही है, कि मानव इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकता है कि इस बुद्धिमत्ता की रचना के बाद हमारे भविष्य का स्वरूप कैसा होगा. उदाहरण के लिए, यह बुद्धिमत्ता जेनेटिक इंजीनियरिंग (आनुवांशिक अभियांत्रिकी) को समझने में सक्षम होगी और बीमारियों से जुड़ी हुई हर समस्या का समाधान कर सकेगी. हम में से जो लोग उस समय रहेंगे, वे लंबी अवधि तक जीवित रह सकेंगे. यह बुद्धिमत्ता स्वयं को तेज गति से उत्तरोत्तर तीक्ष्ण बनाती जायेगी कि फिलहाल अभी हम उसका अनुमान भी नहीं लगा सकते हैं.
बहरहाल, प्रश्न है कि इन चीजों के विकसित होने की संभावना कब तक है? इस प्रकरण का यह अद्भुत हिस्सा है. विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा 2040 के आसपास हो जायेगा, यानी आगामी 24 वर्षों में हम इन चीजों को विकसित कर लेंगे. हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि इससे पहले भी यह घटित हो सकता है. वैसे जो विशेषज्ञ टेक्नोलॉजिकल सिंगुलैरिटी को लेकर संशय में हैं, वे भी इसके आगमन की संभावना को खारिज नहीं करते हैं. उनका महज इतना ही कहना है कि यह हमारे अनुमान से कहीं बाद में घटित हो सकेगा.
अभी ही कंप्यूटर आश्चर्यजनक तेजी के साथ क्षमतावान होते जा रहे हैं. इस वर्ष आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने एक नोबेल पुरस्कार से सम्मानित प्रयोग एक घंटे के भीतर समझ कर उसे फिर से कर दिखाया. इसी साल यह भी हुआ कि एक गूगल कंप्यूटर ने गो नामक एक जटिल चीनी खेल के चैंपियन व्यक्ति को हरा दिया. ऐसा होने की अपेक्षा नहीं थी, क्योंकि गो खेल में शतरंज की तुलना में कई गुना अधिक संभाव्यताएं होती हैं. ऐसा माना जा रहा था कि एक मशीन द्वारा विश्व चैंपियन को हरा पाना बहुत दूर भविष्य की बात है.
इस साल कुछ अन्य परिवर्तनों का आगमन भी हुआ है, जिन्हें सुदूर भविष्य की चीजें माना जाता था. उदाहरण के लिए, स्वचालित कारें, यानी बिना ड्राइवर के चलनेवाली कारें. अमेरिकी कंपनी टेस्ला ने हजारों की संख्या में बिकनेवाली अपनी कारों में इस खासियत को डाल दिया है.
यह कार अपने आसपास की चीजों की पहचान कर लेती है और सौ किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है. यह कार अपने पीछे आ रहे वाहन का अनुमान लगा कर अपना रास्ता भी बदल सकती है. इस साल के शुरू में ऐसी एक कार के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से चालक की मौत हो गयी थी, लेकिन टेस्ला का कहना है कि पिछले कुछ सप्ताह में उसने अपनी तकनीक में बहुत अधिक बेहतरी की है.
हममें से जो कुछ अधिक उम्र के हैं, उनके लिए विचित्र भविष्य की ये कहानियां नयी नहीं हैं. हमें 1980 के दशक में बताया गया था कि रोबोट लोगों की नौकरियों पर काबिज हो रहे हैं, जब जापानी कार निर्माताओं ने अपनी फैक्टरियों में बड़े पैमाने पर स्वचालित प्रणाली स्थापित किया था. लेकिन, ऐसा उस गति से न हो सका, जैसा कि हमें अंदेशा था. लेकिन, इस बार स्थिति भिन्न है.
इसका कारण यह है कि सूचना तकनीक का विस्तार साल-दर-साल तेज ही होता जा रहा है. ऐसा होने की एक वजह यह है कि हर दो साल में कंप्यूटिंग की गति दोगुनी हो जा रही है. हममें से जो लोग 15 वर्ष उम्र के हैं, वे ही वास्तव में यह महसूस कर सकते हैं कि तकनीक में कितनी तेजी से बदलाव आ रहा है. इस तेजी का मतलब है कि हर दशक में परिवर्तन पिछले दशक के मुकाबले बहुत अधिक है. और हम अभी कुछ ही दशकों से इस कंप्यूटर युग में हैं. इसीलिए हमें पिछले 24 सालों के बदलाव के हिसाब से अगले 24 सालों के बदलाव को नहीं देखना चाहिए.
परिवर्तन की तीव्रता इतनी ज्यादा होगी कि विशेषज्ञ भी इसकी कल्पना नहीं कर सकते हैं कि आनेवाले दिनों में इसके परिणाम क्या होंगे.
भारतीय उपमहाद्वीप में रहनेवाले हम जैसों के लिए संभावित बदलाव यूरोप के नागरिकों से भिन्न होंगे. उनके सामने गरीबी, निरक्षरता और कुपोषण की समस्याएं नहीं हैं, जो हमारे यहां मौजूद हैं. यदि हम ऐसा करने दें, तो ये समस्याएं आसानी से सुलझायी जा सकती हैं.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से होनेवाला सबसे बड़ा बदलाव मनुष्य और इस आधार पर सरकारों की स्वायत्तता में कमी के रूप में होगा. मेरे कहने का मतलब यह है- एक स्वचालित कार बेहतर है, क्योंकि इसे चलाने के लिए मानवीय प्रयास की आवश्यकता नहीं होती. लेकिन, यह स्वचालित कार इस कारण भी बेहतर है, क्योंकि यह अपेक्षाकृत सुरक्षित है और इससे गलतियां नहीं होतीं.
यदि इस सिद्धांत को स्वीकार कर लिया जाता है, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता मानव बुद्धि से अधिक सक्षम तथा स्वयं अपने को तीक्ष्ण बनाने की क्षमता से संपन्न है, तो आनेवाले वर्षों में मनुष्य को इस बुद्धिमत्ता के हाथों नियंत्रण सौंप देना पड़ेगा.
इसके परिणाम क्या हैं? विशेषज्ञों का कहना है कि उन्हें इसका पता नहीं है और इनमें से कई इस बुद्धिमत्ता से मनुष्यों को होनेवाले संभावित खतरों को लेकर चिंतित हैं. मानव जाति के रूप में अपने आस्तित्व के सबसे असामान्य चरण से हम गुजर रहे हैं. हममें से अधिकतर आगामी 24 वर्षों को देखने के लिए जीवित रहेंगे. भारत की आबादी के 65 फीसदी से अधिक हिस्से की उम्र 35 वर्ष से कम है. हमारे इतिहास में कभी भी ऐसा ठोस बदलाव इतना करीब नहीं रहा है.