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कोई ठीक नहीं!
‘वन रैंक वन पेंशन’ पर पूर्व सैनिक द्वारा आत्महत्या पर बेहद अजीब राजनीति को देख कर बड़ा दुःख है़ कांग्रेस नेता राहुल गांधी को इस मामले में एकमात्र मसीहा माना जा रहा है, जबकि 65 साल के उनकी पार्टी के शासन में यह क्यों नहीं दिया गया? दूसरी ओर भाजपा सरकार ने भी इसे गंभीरता […]
‘वन रैंक वन पेंशन’ पर पूर्व सैनिक द्वारा आत्महत्या पर बेहद अजीब राजनीति को देख कर बड़ा दुःख है़ कांग्रेस नेता राहुल गांधी को इस मामले में एकमात्र मसीहा माना जा रहा है, जबकि 65 साल के उनकी पार्टी के शासन में यह क्यों नहीं दिया गया?
दूसरी ओर भाजपा सरकार ने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया, वरना यह नौबत ही न आती़ गंभीर हालत में सैनिक से अस्पताल में मिलने से राहुल गांधी और केजरीवाल को रोकने की बहुत बड़ी गलती कर खुद भाजपा ने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार कर इन्हें जरूर शिखर की सुर्खियों में ला दिया है और स्वयं को गड्ढे में गिरा लिया है़ इससे वे कौन सा नया तीर मार लेते? असल में तो किसी भी सत्ताधारी पार्टी को किसी से कुछ लेना-देना नहीं है़
यह तो महज ओछी और घटिया राजनीति ही है़ सबसे पहले खुद कांग्रेस सरकार ने ही कर्मचारियों की छटनी, कटौती, पेंशन और भर्ती पर पाबंदी शुरू की थी जो भाजपा ने भी बदस्तूर जारी रखी है और इस पर आम आदमी पार्टी तो एकदम बकवास, झूठी, अराजक और ड्रामेबाज ही निकली़
वेद प्रकाश, दिल्ली
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