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तत्परता की दरकार

नोटबंदी से जहां आम जनता और कारोबार जगत को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं बैंकों पर भी बहुत दबाव है. शाखाओं से लेकर एटीएम पर लगातार भीड़ बनी हुई है तथा पुराने नोट बदलने और निकासी के काम में बैंक कर्मचारी भी मुस्तैदी से डटे हुए हैं. तकलीफें कम करने के लिए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 16, 2016 12:35 AM

नोटबंदी से जहां आम जनता और कारोबार जगत को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं बैंकों पर भी बहुत दबाव है. शाखाओं से लेकर एटीएम पर लगातार भीड़ बनी हुई है तथा पुराने नोट बदलने और निकासी के काम में बैंक कर्मचारी भी मुस्तैदी से डटे हुए हैं. तकलीफें कम करने के लिए निकासी की सीमा बढ़ायी गयी है और नये नोटों के साथ कम मूल्य की मुद्राओं की आपूर्ति बढ़ाने के प्रयास जारी हैं.

परंतु सरकार और रिजर्व बैंक द्वारा बार-बार पर्याप्त नकदी की उपलब्धता का भरोसा दिये जाने के बावजूद शहरों से लेकर गांवों तक धन पहुंचाने के काम में देरी के कारण लोगों को राहत नहीं मिल पा रही है. अस्थायी एटीएम केंद्रों द्वारा नकदी के वितरण की व्यवस्था भी पर्याप्त नहीं है. सौ रुपये के नोटों की कमी बनी हुई है और अगर अगले कुछ दिनों में इसे बेहतर नहीं किया गया, तो पांच सौ और दो हजार के नोटों से भुगतान करनेवाले ग्राहकों को खुले पैसे लौटाने में दुकानदारों को बहुत दिक्कत हो सकती है. नकदी के संकट के कारण ट्रकों की आवाजाही प्रभावित हुई है और अगले कुछ दिनों में मंडियों में आपूर्ति पर इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है.

बैंकों और एटीएम में समुचित नकदी सुनिश्चित कराने के साथ केंद्र और राज्य सरकारों को कारोबार और यातायात की मुश्किलों पर भी नजर रखने की जरूरत है. डेबिट और क्रेडिट कार्डों के उपयोग पर लगनेवाले शुल्क हटाये जाने तथा चालू खाताधारकों के लेन-देन की सीमा बढ़ाने के साथ 1.30 लाख डाकघरों में नकदी की आपूर्ति बढ़ाने से राहत मिली है. रेल और हवाई जहाज के िटकट, अस्पताल और सार्वजनिक सेवाओं के लिए पुराने नोटों से भुगतान की सीमा 24 नवंबर तक बढ़ा दी गयी है.

लेकिन, सभी उपायों को तत्परता से लागू करने की जरूरत है, क्योंकि लोग पहले ही बहुत परेशान हो चुके हैं. सरकार और बैंकों के तेवर से उम्मीद बंधी है कि आनेवाले दिनों में कई अन्य जरूरी उपाय किये जा सकते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार के प्रमुख मंत्री रिजर्व बैंक के उच्चाधिकारियों के साथ स्थिति पर लगातार नजर बनाये हुए हैं. लेकिन, ऐसे बड़े निर्णय लेने से पहले समुचित तैयारी नहीं करने की कमी की भरपाई अब तत्परता और त्वरा से ही की जा सकती है. आशा है कि सरकार और बैंक मौजूदा कोशिशों को तेज कर करोड़ों लोगों को तुरंत राहत मुहैया करायेंगे.

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