शादी में अरबों खर्च

‘समरथ को नहीं दोष गुसाईं’ का कलयुगी अर्थ समझना हो, तो अवैध खनन के मामले में तीन साल जेल की हवा खा चुके और कर्नाटक के सबसे धनी नेताओं में शुमार जी जनार्दन रेड्डी की बेटी की शादी की खबरों पर गौर करें. नोटबंदी के बाद नकदी के लिए मची अफरा-तफरी के बीच इस शादी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 17, 2016 6:17 AM

‘समरथ को नहीं दोष गुसाईं’ का कलयुगी अर्थ समझना हो, तो अवैध खनन के मामले में तीन साल जेल की हवा खा चुके और कर्नाटक के सबसे धनी नेताओं में शुमार जी जनार्दन रेड्डी की बेटी की शादी की खबरों पर गौर करें. नोटबंदी के बाद नकदी के लिए मची अफरा-तफरी के बीच इस शादी की चर्चा शाहखर्ची के लिए हो रही है.

सत्रह करोड़ रुपये के जोड़े पर 90 करोड़ रुपये के गहने में शोभायमान दुल्हन का पाणिग्रहण संस्कार साक्षात् देखने का सौभाग्य सबको मिलना मुश्किल है, लेकिन रेड्डी ने अपनी तरफ से भरपूर कोशिश की. एलसीडी स्क्रीन पर सोने के पानी वाले अनोखे निमंत्रण पत्र एक करोड़ की तादाद में बनाये गये. इनमें एक फिल्म चलती है, जिसमें रेड्डी परिवार किसी राजा-रानी की तरह अवतरित होकर आपको शादी में आने का नेवता देते हैं. तीस हजार अतिविशिष्ट मेहमानों के लाने के लिए बने 15 हैलीपैड, सिनेमाई सितारों की मौजूदगी, पंचसितारा होटलों के कमरे और विजयनगर साम्राज्य की तर्ज पर सजाया गया विवाह-स्थल, शादी के ये तमाम ब्योरे संकेत करते हैं कि नवधनाढ्य रेड्डी परिवार समय का पहिया पीछे घुमा कर शाहों और सम्राटों के युग में ले जाना चाहता है, अपनी एक फंतासी को सच करना चाहता है. जनार्दन रेड्डी की कहानी अचानक खाकपति से लाखपति होने की है.

साल 1998 में इनकी वित्तीय कंपनी 200 करोड़ की देनदारी के बीच डूब गयी थी, लेकिन इसके ठीक 10 साल बाद उन्होंने सपत्नीक अपने पास 1.20 अरब रुपये की संपत्ति होने की घोषणा की. जाहिर है, देश के सत्तातंत्र में जो सामर्थ्यवान हैं, उनकी जनार्दन रेड्डी का खनन-व्यवसाय चमकाने में विशेष कृपा रही है. आमंत्रित मेहमानों की सूची में पक्ष-विपक्ष के तमाम शीर्ष राजनेता शामिल हैं, यही संकेत देती है. शादी की शाहखर्ची पर कोई तकनीकी सवाल नहीं उठाया जा सकता, क्योंकि रेड्डी-परिवार कह चुका है कि रुपये बेंगलुरु और सिंगापुर की संपत्ति बेच कर जुटाये गये हैं.

यह भी नहीं पूछा जा सकता है कि दुल्हा-दुल्हन को करोड़ों के उपहार कहां से मिले, क्योंकि कानूनन दूसरों से मिले उपहार की कीमत 50 हजार से ज्यादा हो, तो आपको उस पर कर चुकाना होता है, लेकिन यही उपहार परिवार या नाते-रिश्तेदार दें, तो कोई टैक्स नहीं बनता. कालेधन के साथ हो रही लड़ाई की यही विडंबना है. सामर्थ्यवान उसे उजला बनाने की युक्ति पहले से तैयार रखते हैं, जैसे कि रेड्डी परिवार में होनेवाली यह शादी! क्या ऐसी शाहखर्ची पर पाबंदी लगाने के लिए कोई कदम उठाना जरूरी नहीं है?

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