मौत की ”एक्सप्रेस” डिलीवरी
एक और रेलगाड़ी बेपटरी हो गयी. खबरों में रुचि रखने वाले लोगो को कुछ भी नया नहीं लगा होगा. वही एक्सप्रेस गाड़ी, रात के सन्नाटे में दर्दनाक चीत्कार, मौतें, मुआवजे और अंत में एक जांच समिति. 60-70 की गति से चलने वाली गाड़ियों के देश में हम बुलेट ट्रेन या हाई स्पीड गाड़ियों का सपना […]
एक और रेलगाड़ी बेपटरी हो गयी. खबरों में रुचि रखने वाले लोगो को कुछ भी नया नहीं लगा होगा. वही एक्सप्रेस गाड़ी, रात के सन्नाटे में दर्दनाक चीत्कार, मौतें, मुआवजे और अंत में एक जांच समिति. 60-70 की गति से चलने वाली गाड़ियों के देश में हम बुलेट ट्रेन या हाई स्पीड गाड़ियों का सपना देखते नहीं थकते. अच्छा है सपनो में बुरे ख्याल नहीं आते.
अगर आये भी तो क्या. बड़े लोग कहते हैं, बड़ा पाने के लिए छोटा खोना पड़ता है. वैसे भी ट्रेन सफर करें न करें, मौत तो आती ही है, तो हम किसी का रास्ता क्यों रोकें. बातें इतनी आसान भी नहीं. दुर्घटनाओ में सब कुछ खोये लोगो की आँखों में तो अब कोई सपना भी नहीं बचा होगा. बस कीजिये सरकार! अब तो बंद करिये मौत की ‘एक्सप्रेस’ डिलीवरी. दोष किसी व्यक्ति का नहीं नीतियों का है.
एमके मिश्रा, रातू, रांची