कुछ पर्दे में रहे तो अच्छा

नोटबंदी की जद्दोजहद से लोगों को निजात मिलने के थोड़े आसार दिखने लगे थे, मगर आरबीआई ने ऐसी गुगली फेंकी कि सारे बैंड वाले शादियों में भी मातमी धुन बजाने पर मजबूर हो गए. जो भी हो अभी तो सब कुछ ‘अंडर ट्रायल’ है. मगर इतना तो पक्का है कि आरबीआई भी अब आम जनता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 28, 2016 7:01 AM
नोटबंदी की जद्दोजहद से लोगों को निजात मिलने के थोड़े आसार दिखने लगे थे, मगर आरबीआई ने ऐसी गुगली फेंकी कि सारे बैंड वाले शादियों में भी मातमी धुन बजाने पर मजबूर हो गए.
जो भी हो अभी तो सब कुछ ‘अंडर ट्रायल’ है. मगर इतना तो पक्का है कि आरबीआई भी अब आम जनता के बीच अपनी पहचान बनाने में सफल रहा है. नोटबंदी के दौरान लोगों के बीच ऐसी जानकारियां भी आयीं, जो आमतौर से सार्वजानिक नहीं होती.
लगभग सभी न्यूज चैनल्स ने रुपयों को बैंक या एटीएम तक पहुंचाने के तरीके और बारीकियों को खूब दिखाया. इतना ही नहीं इससे आगे भी एटीएम के कैलिबरेशन को दिखाते हुए एटीएम की गोपनीयता को सार्वजानिक कर दिया गया. सभी जानते हैं कि बिना कुछ जाने हुए ही हमारे खाते ‘हैक’ हो जाते हैं, तो सब कुछ दिखा देने के बाद क्या हमारे रुपये सुरक्षित रह पाएंगे? कहीं अतिजागरूकता और पारदर्शी होना खतरनाक तो नहीं! सभी जानकारियां जरूरी हैं, मगर कुछ पर्दे में रहे तो अच्छा.
एमके मिश्रा, रातू, रांची

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