बांध की ऊंचाई बढ़ाना हल नहीं

फरक्का बराज बनाते समय नदियों के प्राकृतिक बहाव से छेड़-छाड़ करने का नतीजा हम भुगत चुके है. उस समय सरकारों ने कपिल भट्टाचार्य की बात को अनसुना कर तात्कालिक लाभ दिखाते हुए जनता को खुश कर राजनीतिक फायदा उठा लिया. पर इसके दूरगामी परिणामों के बारे में नहीं सोचा. उस समय परिस्थितियां चाहे जो भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 28, 2016 7:02 AM
फरक्का बराज बनाते समय नदियों के प्राकृतिक बहाव से छेड़-छाड़ करने का नतीजा हम भुगत चुके है. उस समय सरकारों ने कपिल भट्टाचार्य की बात को अनसुना कर तात्कालिक लाभ दिखाते हुए जनता को खुश कर राजनीतिक फायदा उठा लिया. पर इसके दूरगामी परिणामों के बारे में नहीं सोचा.
उस समय परिस्थितियां चाहे जो भी रहीं हो, अब इतिहास में की गयी गलतियों को नहीं बदला जा सकता. उस समय जो भी भविष्यवाणी की गयी थी, आज सच हो गयी है. जैसा नदियों का हाल है और उसके नतीजे भी हम भुगत रहे हैं, वर्तमान में बांध की ऊंचाई बढ़ा कर समस्या का समाधान खोजने की बात कही जा रही है.
ऊंचाई बढ़ा कर हम गलतियां दुहरायेंगे ही. ऊंचाई बढ़ाई गयी, तो उसके टूटने का खतरा बढ़ सकता है. अब अगर बांध टूटती है, तो नजारा किसी प्रलय से कम नहीं होगा. सांप के चले जाने के बाद हम लकीर पीटने के आदि हो गये हैं. समय रहते कार्य करना हमारी फितरत में ही नहीं है.
सीमा साही, बोकारो

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