नोटबंदी का सच
नोटबंदी जैसे क्रांतिकारी कदम का सबने स्वागत किया है. परेशानियों के बावजूद लोग कतारों में खड़े रहे और प्रधानमंत्री का गुणगान करते रहे. लेकिन अचानक 29 नवंबर को काला धन घोषित करने वालों को 50 प्रतिशत में नोट बदलने की छूट देकर और पकड़े जाने पर 15 प्रतिशत तक काले धन को सफेद करने का […]
नोटबंदी जैसे क्रांतिकारी कदम का सबने स्वागत किया है. परेशानियों के बावजूद लोग कतारों में खड़े रहे और प्रधानमंत्री का गुणगान करते रहे. लेकिन अचानक 29 नवंबर को काला धन घोषित करने वालों को 50 प्रतिशत में नोट बदलने की छूट देकर और पकड़े जाने पर 15 प्रतिशत तक काले धन को सफेद करने का अजीब सा बिल संसद में पेश किया गया. हैरानी है कि काली कमाई वालों पर सरकार सख्ती नहीं करके उनकी सुविधा के लिए नये-नये स्कीम ला रही है.
तो क्या मान लिया जाये कि जो लोग हजारों करोड़ अघोषित रूपये अब तक बोरियों में छिपाकर रखे हुए हैं, वे आधा पैसा देकर साफ बच निकलेंगे? 30 सितंबर की घोषणा के बाद फिर से 29 नवंबर को काला धन डिसक्लोजर स्कीम लाना सरकार की नीयत पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है. होना तो यह चाहिए था कि इन जमाखोरों के खिलाफ सख्त अभियान चलाया जाता, उन्हें जेलों में डाला जाता. लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया. राष्ट्रहित के लिए निजी हितों की तिलांजली का क्या यही परिणाम होना था?
उषा किरण, रांची