राष्ट्रगान की मर्यादा

सुप्रीम कोर्ट का राष्ट्रगान पर हालिया आदेश निश्चित रूप से सराहनीय है. फिर राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान के सम्मान की बात हो, तो मतभेद हो भी नहीं सकता. वैसे हर हिंदुस्तानी राष्ट्रभक्त है और अपने कर्त्तव्य के प्रति जागरूक भी. मगर संभव है, जाने अनजाने राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान हो जाये. ऐसे में यह सुनिश्चित करना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 7, 2016 2:05 AM
सुप्रीम कोर्ट का राष्ट्रगान पर हालिया आदेश निश्चित रूप से सराहनीय है. फिर राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान के सम्मान की बात हो, तो मतभेद हो भी नहीं सकता. वैसे हर हिंदुस्तानी राष्ट्रभक्त है और अपने कर्त्तव्य के प्रति जागरूक भी. मगर संभव है, जाने अनजाने राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान हो जाये. ऐसे में यह सुनिश्चित करना ही होगा कि किसी भी रूप में राष्ट्रगान की मर्यादा भंग न हो.

लिहाजा सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान का बजाया जाना एक महत्वपूर्ण फैसला है. सवाल है कि फिर भी किसी ने यदि राष्ट्रगान का अपमान कर दिया, तो सिनेमा हॉल मालिक क्या करेगा? कैसी विडंबना है, राष्ट्रपति के सम्मान में बजने वाला राष्ट्रगान अपने ही सम्मान को तरस रहा है. क्यों न इसकी शुरुआत संसद और विधान सभाओं से की जाये जहां हर कार्य दिवस के आरंभ में राष्ट्रगान आवश्यक हो.

एमके मिश्रा, रातू, रांची

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