13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

हिंदू उत्तराधिकार कानून स्पष्ट हो

महिलाओं की संपत्ति पर लैंगिक विषमता दूर करने के उद्देश्य से हिंदू उत्तराधिकार कानून 2005 पारित किया गया, जिसमें पुत्री को पिता की संयुक्त संपत्ति पर पुत्र के सामान जन्म से अधिकार दिया गया, वहीं कर्नाटक उच्च न्यायालय ने फूलवती के केस में निर्णय दिया कि संबंधित संपत्ति में पिता या पुत्री का जन्म या […]

महिलाओं की संपत्ति पर लैंगिक विषमता दूर करने के उद्देश्य से हिंदू उत्तराधिकार कानून 2005 पारित किया गया, जिसमें पुत्री को पिता की संयुक्त संपत्ति पर पुत्र के सामान जन्म से अधिकार दिया गया, वहीं कर्नाटक उच्च न्यायालय ने फूलवती के केस में निर्णय दिया कि संबंधित संपत्ति में पिता या पुत्री का जन्म या मरण कभी भी हो 9/9/2005 से पुत्री, पुत्र के बराबर की हिस्सेदार होगी.
दिनांक 2/11/2015 को फूलवती के केस में यह निर्णय दे दिया कि पिता और पुत्री का जीवित होना जरूरी है इस कानून में हकदार होने के लिए. प्रत्येक न्यायालय और वकील कानून की व्याख्या अपने-अपने हिसाब से कर रहे हैं. इस स्थिति में सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि जीवित किसको रहना जरूरी है या जीवित होना आवश्यक है या नहीं है.
सुचित्रा झा, अधिवक्ता, देवघर

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें