पिछले दिनों वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जनार्दन द्विवेदी ने अपने बयान में कहा कि जातिगत आरक्षण को समाप्त कर आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाये. यह तार्किक, न्यायोचित व प्रासंगिक है. जातिगत आरक्षण से आरक्षण प्राप्त जातियों में भी बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो काफी कमजोर हैं, पर आरक्षण के लाभ से वंचित हैं.
मौजूदा राजनीति में आरक्षण वोट बैंक का मामला बन गया है. जो दलित या पिछड़ी जातियां आरक्षण से पीढ़ी दर पीढ़ी लाभान्वित हो चुकी हैं, उन्हें अब इस लाभ से वंचित क्यों नहीं किया जाता, ताकि इसका फायदा आर्थिक जरूरतमंद लोगों तक पहुंच सके. क्यों नहीं एससी/ एसटी में भी क्रीमीलेयर को आरक्षण से वंचित किया जाता? आरक्षण का आधार जाति हो या आर्थिक स्थिति, आज इस पर देशव्यापी, खुली राजनीतिक एवं सामाजिक बहस की नितांत आवश्यकता है.
रवि रंजन, ई-मेल से