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संतुलित फैसलों की दरकार

इंतजाम की कामयाबी धीरज की मांग करती है, ताकि समस्या को सभी सिरों से समझ कर समाधान के उपाय किये जा सकें. नोटबंदी के फैसले के बाद पैदा हुई नकदी की किल्लत और कम हुई क्रय-शक्ति से निपटने के लिए सरकार अप्रत्याशित तेजी से कदम उठा रही है. इस तेजी में नोटबंदी के शुरुआती 16 […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 14, 2016 12:30 AM
इंतजाम की कामयाबी धीरज की मांग करती है, ताकि समस्या को सभी सिरों से समझ कर समाधान के उपाय किये जा सकें. नोटबंदी के फैसले के बाद पैदा हुई नकदी की किल्लत और कम हुई क्रय-शक्ति से निपटने के लिए सरकार अप्रत्याशित तेजी से कदम उठा रही है.
इस तेजी में नोटबंदी के शुरुआती 16 दिनों में लेन-देन के 172 नियम बनाये गये. ऐसा प्रतीत होता है कि नियमन की इस त्वरा में समुचित सोच-विचार की अपेक्षा तात्कालिकता का दबाव अधिक है. ऐसे में उपाय कारगर साबित होने के बजाय नयी मुश्किलों का सबब बन रहे हैं. मिसाल के तौर पर, नकदी की कमी से बाजार में लेन-देन घटी, तो सरकार ने प्लास्टिक मनी (क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग आदि) के चलन को बढ़ावा देने के उपाय किये. इसके लिए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कई तरह की छूटों की घोषणा की.
इसमें यह भी शामिल था कि 2000 रुपये तक ऑनलाइन खरीदारी पर ग्राहकों को सर्विस टैक्स नहीं देना होगा. घोषणा के वक्त वित्त मंत्रालय यह नहीं सोच पाया कि नकदी-रहित लेन-देन बढ़ाने का उसका फैसला बैंकों की सेहत पर भारी पड़ेगा और वे ऐतराज जतायेंगे. रिजर्व बैंक देश में मौद्रिक-नीति के व्यवस्थापन की शीर्ष संस्था है और इस नाते वह सभी बैंकों के अभिभावक की भूमिका निभाता है. बैंकों की मनमानी पर उन्हें टोकना उसके कर्तव्यों में शामिल है, तो बैंकों की शिकायत सुनना भी उसकी जिम्मेवारी है.
कुछ बड़े बैंकों ने रिजर्व बैंक से कहा है कि प्लास्टिक मनी के व्यवहार करने के एवज में सर्विस चार्ज में छूट देने से उनकी कमाई पर असर पड़ेगा. बैंकों की इस चिंता को रिजर्व बैंक जायज मान रहा है. यह शिकायत निराधार भी नहीं है. फिलहाल देश में 74 करोड़ डेबिट कार्ड और 2.7 करोड़ क्रेडिट कार्ड हैं तथा 15 लाख प्वाॅइंट ऑफ सेल्स (पीओएस) टर्मिनल के जरिये इनसे क्रमशः 21,225 करोड़ तथा 29,866 करोड़ का मासिक लेन-देन होता है. सरकार ने डिजिटल लेन-देन में छूट की घोषणा के साथ अगले तीन महीनों में बैंकों से 10 लाख पीओएस और लगाने को कहा है. पीओएस के बढ़ने और छूट की घोषणा से डिजिटल लेन-देन में बढ़ोतरी तो होगी, लेकिन बैंकों का लागत-खर्च भी बढ़ेगा.
बैंकों के लागत-खर्च में बढ़ोतरी की भरपाई के उपाय भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं, जितना कि नकदी रहित लेन-देन को बढ़ावा देकर कालेधन और कर चोरी की समस्या पर अंकुश लगाना. एक की कीमत पर दूसरे को बढ़ावा देना अर्थव्यवस्था के लिए घातक होगा. ऐसे में सरकार को रिजर्व बैंक की चिंताओं को दूर करने के उपायों पर भी गौर करना चाहिए.

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