चुनाव आयोग का कदम

चुनाव आयोग, 2004 के बाद, एक बार फिर से, कानून मंत्रालय को कुछ सुझाव भेजा है. मगर हमारी राजनीतिक बिरादरी इस बात को कभी नहीं मानेगी कि दो स्थानों से किसी एक प्रत्याशी को चुनाव लड़ने से रोका जाये, क्योंकि सत्ता और कुर्सी की भूख उनमें इतना प्रबल होती है कि वे हर कीमत पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 15, 2016 1:37 AM

चुनाव आयोग, 2004 के बाद, एक बार फिर से, कानून मंत्रालय को कुछ सुझाव भेजा है. मगर हमारी राजनीतिक बिरादरी इस बात को कभी नहीं मानेगी कि दो स्थानों से किसी एक प्रत्याशी को चुनाव लड़ने से रोका जाये, क्योंकि सत्ता और कुर्सी की भूख उनमें इतना प्रबल होती है कि वे हर कीमत पर संसद या विधान सभा में पहुंचना चाहते हैं. यही नहीं, वे वहां पहुंचने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर देते हैं. क्यों? जनसेवा के लिए इतना खर्च क्यों?

एक बार चुन लिए जाने के बाद तो फिर एक कार्यकाल में खर्च की गयी राशि का सौ गुना तक अर्जित कर लिया जाता है. चुनाव आयोग को तो चुनाव के बाद होने वाले गंठबंधन पर भी प्रतिबंध लगा देना चाहिए क्योंकि यह मतदाताओं की भावना के साथ खिलवाड़ है. हम किसी को भी वोट इसलिए देते हैं कि उसकी सोच एवं विचारधारा दूसरे से भिन्न है, मगर चुनाव बाद वे सब एक हो जाते हैं.

जंग बहादुर सिंह, इमेल से

Next Article

Exit mobile version