कई मामलों में एनजीओ देशविरोधी कार्यों में लिप्त पाये गये हैं, तो कई एेसे एनजीओ भी हैं, जो नाम के एनजीओ हैं लेकिन उनका ऑपरेशन किसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से भी गया गुजरा है.
कुछ मानवता की भलाई के लिए देश-विदेश से दान और फंड लेते है, परंतु उस पैसे से वे अपनी भलाई और मलाई का जुगाड़ बखूबी करते हैं. मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद लगभग बीस हजार से भी अधिक एनजीओ का लाइसेंस रद्द किया है. आप समझ सकते हैं कि इतनी बड़ी मात्रा में सारे संगठन कौन सी मानवता की भलाई कर रहे होंगे.
एनजीओ के मालिकों की जिस प्रकार की लग्जरी लाइफस्टाइल होती है, उससे साफ समझ आ जाता है कि इन लोगों के लिए भलाई और मलाई में कोई खास फर्क नहीं है. इस स्थिति में सरकार को एनजीओ में हो रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिये कुछ कड़े कदम आगे और बढ़ाना होगा.
दीपक कुमार, रातु रोड ,रांची