!!अनुज कुमार सिन्हा!!
भारत ने चेन्नई टेस्ट में भी इंग्लैंड को हराया. सीरीज 4-0 से जीती है. भारत 1932 से इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट खेल रहा है, लेकिन अभी तक किसी भी सीरीज में इंग्लैंड को 4-0 से नहीं हराया था. सीरीज के हिसाब से इंग्लैंड के खिलाफ यह सबसे बड़ी जीत है. जो भी टेस्ट जीता, शान से. इससे पहले भारत ने 1992-93 में इंग्लैंड को सभी तीन टेस्ट में हराया था.
आज यह रिकॉर्ड भी टूट गया. कोहली की टीम पूरे सीरीज में हावी रही. इंग्लैंड की टीम भले ही कागज पर भारी दिखती थी, लेकिन उसमें भारतीय स्पिनर का सामना करने की क्षमता ही नहीं थी. पूरी सीरीज में अश्विन, जडेजा और अमित मिश्रा या जयंत यादव की तिकड़ी हावी रही. स्पिनरों ने तेज गेंदबाजों को मौका ही नहीं दिया. स्पिनर कितने हावी रहे, इसका उदाहरण है पूरी सीरीज में उनके द्वारा 64 विकेट लेना. इसके पहले अजहर की टीम ने जब 1992-93 में इंग्लैंड को भारत में धूल चटायी थी, तब भी भारतीय स्पिनरों की तिकड़ी (कुंबले, राजू, चौहान) ने 60 में से 46 विकेट लिये थे.
जाहिर है, भारत में भारतीय स्पिनर्स का सामना करना दुनिया की किसी टीम के लिए आसान नहीं होता. इंग्लैंड इतने बुरी तरह से नहीं हारता, अगर उसके बल्लेबाज स्पिनर्स को ठीक से खेल पाते और उसके स्पिनर्स भारतीय स्पिनर्स जैसा विकेट लेते. मोइन अली और रशीद अली में वह कूबत नहीं है कि भारतीय टीम को दो बार आउट करे. इस जीत ने स्पिनर्स युग की याद ताजा कर दी है. अश्विन तो अश्विन, जड्डू यानी जडेजा ने भी एक पारी में सात विकेट लेकर कमाल दिखाया.
स्पिनरो ने जो दिखाया, वह तो दिखाया ही, लेकिन इससे भारतीय बल्लेबाजों को कम नहीं आंका जा सकता है. रहाणे के घायल होने के कारण भाग्य से मौका मिला था नायर को और उसने तिहरा शतक ठोंक दिया. तिहरा शतक लगाना हर किसी के भाग्य में नहीं होता है. याद कीजिए, सचिन और गावस्कर दुनिया के महान खिलाड़ी रहे हैं. लेकिन ये दोनों टेस्ट में अधिकतम 250 रन भी नहीं बना सके (गावस्कर 236 और सचिन 248 रन अधिकतम). लेकिन नायर ने तिहरा शतक लगा दिया. सेहवाग ने तो दो-दो तिहरा शतक लगाया था. यानी 84 साल के भारतीय टेस्ट इतिहास में सिर्फ दो ही खिलाड़ी अभी तक यह करिश्मा कर दिखाये हैं. इसलिए यह मानना चाहिए कि आगे भी नायर बढ़िया और लंबी पारी खेलेंगे. शतक, दोहरा शतक या तिहरा शतक लगाने के बावजूद इस युवा खिलाड़ी ने धैर्य दिखाया, आत्मविश्वास दिखा. यह बताता है कि भारतीय क्रिकेट का भविष्य और उज्जवल है.
इंग्लैंड की टीम चाहती, तो यह टेस्ट बचा सकती थी. लेकिन लगातार हार के बाद मानसिक तौर पर थक चुकी थी. कब तक मुकाबला करती. कुक दुनिया के बेहतरीन खिलाड़ी हैं, लेकिन जडेजा के आगे वे बार-बार कमजोर दिखे, सात बार जडेजा द्वारा कुक का आउट होना यह बताता है कि वे कितने दबाव में होते थे, जब सामने जडेजा गेंदबाजी कर रहे होते थे. ऐसा बहुत कम होता है, जब कोई टीम पहले खेलते हुए चार सौ से ज्यादा रन बनाने के बाद भी टेस्ट हार गयी हो.
चौथे और पांचवें टेस्ट में इंग्लैंड ने पहले खेलते हुए बड़ा स्कोर खड़ा किया, लेकिन भारत ने बड़ी लीड ली और यही इंग्लैंड के लिए भारी पड़ा. भारत अब आश्वस्त है. एक खिलाड़ी नहीं चला तो दूसरा, तीसरा चलेगा ही. इस सीरीज में यही सब देखने को मिला. कभी विजय, पुजारा चले तो कभी कोहली, नायर. जब शीर्ष खिलाड़ी जल्द पवेलियन लौट गये, तो कभी अश्विन, जडेजा ने बचाया, तो कभी जयंत यादव ने. एक टीम को यही चाहिए भी. हां, एक कसक कोहली को जरूर रह गयी होगी. गावस्कर का एक सीरीज में 774 रन का रिकॉर्ड नहीं तोड़ सकने का. काफी नजदीक पहुंच गये थे, लेकिन अंतिम टेस्ट में एक बड़ी पारी कोहली नहीं खेल सके. नायर की पारी का आधा भी खेल गये होते या राहुल जितना स्कोर बना लिया होता, तो कोहली की एक और बड़ी उपलब्धि होती. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इस कसक पर भारी है इंग्लैंड को 4-0 से हराना और यही काम तो कोहली की टीम ने किया है. बधाई पूरी टीम को.