अरविंद केजरीवाल एक रणछोड़ योद्धा निकले. दिल्ली की जनता इससे ठगी हुई महसूस कर रही है. उसे क्या पता था कि जिसकी एक आवाज पर विश्वास करके दिल्ली की जनता और कांग्रेस ने दिल्ली के तख्त-ए-ताज का मालिक बना दिया, वह इतना कायर निकलेगा! तमाम जांच एजेंसियों के रहते, केजरीवाल लोकपाल का बहाना बना कर दिल्ली की सत्ता छोड़ कर भाग गये.
वैसे, जिम्मेदारी से भागने की उनकी आदत है, वरना इनकम टैक्स की नौकरी छोड़ कर नहीं भागते, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कारवाई कर इनकम टैक्स में एक अपनी अलग पहचान बनाते. जब ये इनकम टैक्स में थे, तब इन्हें शायद ही कोई बड़ा काम करने के लिए जानता होगा. मुख्यमंत्री रहते हुए वह सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल कर भ्रष्टाचार से लड़ाई लड़ सकते थे. ईमानदारी ठीक है, पर ईमानदारी का घमंड होना गलत.
राजेश ठाकुर, बोकारो