किसे फायदा होगा इस बजट से?

पिछले दिनों वर्तमान केंद्रीय सरकार का आखिरी बजट सदन में पेश किया गया. दम तोड़ती अर्थ व्यवस्था को ऑक्सीजन देने के बजाय कोमा में डालनेवाला यह बजट यूपीए का घोषणा पत्र ही तो है. यह बजट यह बता रहा है कि देश के वित्त मंत्री ने मान लिया कि आनेवाले चुनाव में वर्तमान सरकार की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 20, 2014 4:15 AM

पिछले दिनों वर्तमान केंद्रीय सरकार का आखिरी बजट सदन में पेश किया गया. दम तोड़ती अर्थ व्यवस्था को ऑक्सीजन देने के बजाय कोमा में डालनेवाला यह बजट यूपीए का घोषणा पत्र ही तो है. यह बजट यह बता रहा है कि देश के वित्त मंत्री ने मान लिया कि आनेवाले चुनाव में वर्तमान सरकार की करारी शिकस्त निश्चित है. आम आदमी के साथ होने का दावा करने वाली इस सरकार ने सामाजिक क्षेत्रों पर अपना गुस्सा निकाला, तभी तो पिछले वर्ष इस सेक्टर में जहां 26.8 फीसदी का आवंटन था, इस बार उसे महज 16.2 फीसदी पर लाकर पटक दिया.

इस सरकार को देश के आम नागरिकों की शिक्षा, स्वास्थ्य, बच्चों और महिलाओं की प्रगति से चिढ़ है, तभी तो इस बजट में मानव संसाधन के लिए इस बार आवंटन 10.1 फीसदी की तुलना में 3.6 फीसदी, स्वास्थ के लिए 4.2 फीसदी की जगह 1.2 फीसदी और महिला एवं बाल कल्याण के लिए 3 फीसदी से घटए कर 0.2 फीसदी कर दिया है. चुनावी वर्ष का बजट और सामाजिक क्षेत्रों के विकास से बजट की कटौती करना सीधे-सीधे जनता के हितों पर प्रहार है. यह बजट ‘भारत’ नहीं, ‘इंडिया’ को ध्यान में रख कर लाया गया है.

इतना ही नहीं, सैनिकों की वन रैंक वन पेंशन की मांग पूरी होने में 42 साल का समय लगना देश के बहादुर सैनिकों के साथ भद्दा मजाक है. यूपीए से दूर होते युवाओं को लुभाने हेतु शिक्षा ऋण और मोबाइल फोन सस्ता किया गया. उधर मानव संसाधन विभाग का बजट घटा दिया गया. बजट का 20 फीसदी ब्याज में चुकानेवाला बजट आंकड़ों की जादूगरी से भरा है, जिसका खमियाजा देश भुगत रहा है. यह बजट नरेंद्र मोदी के उस कथन को चरितार्थ करता है कि वित्त मंत्री ‘हार्ड वर्किग नहीं हार्डली वर्किग’ व्यक्ति हैं.

संजय कुमार आजाद, रांची

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