न्यायिक और पुलिस सुधार

पता नहीं इस देश में न्यायिक सुधार एवं पुलिस सुधार को कब अंजाम दिया जायेगा. कब इस देश के नागरिकों को सचमुच का लोकतांत्रिक वतावरण में सांस लेने का मौका मिलेगा. गरीब लोग इसमें फंस कर तड़पते रहते हैं. न्याय के जाल में ऐसा फंसता है कि उसमें से बाहर निकल पाना उसके लिए नामुमकिन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 29, 2016 6:19 AM

पता नहीं इस देश में न्यायिक सुधार एवं पुलिस सुधार को कब अंजाम दिया जायेगा. कब इस देश के नागरिकों को सचमुच का लोकतांत्रिक वतावरण में सांस लेने का मौका मिलेगा. गरीब लोग इसमें फंस कर तड़पते रहते हैं.

न्याय के जाल में ऐसा फंसता है कि उसमें से बाहर निकल पाना उसके लिए नामुमकिन हो जाता है. अभी पिछले सप्ताह ही पुलिस की मुखबिरी करने वाला ऑटो चालक इरशाद अली को 11 साल बाद जेल से रिहाई हुई. उसे आतंकवाद के जुर्म में पुलिस ने गिरफ्तार किया था. 2008 में ही सीबीआई ने लिख कर अदालत को दिया कि वह निर्दोष है, बावजूद इसके उसे रिहा होने में और 8 साल लग गये. क्या इसी न्यायतंत्र पर हमें गर्व करना चाहिए? क्यों नहीं ऐसे लोगों को मुआवजा दिया जाये?

जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी

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