दल-बदल सुनवाई कब तक!
जब 2014 में रघुवर दास गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, तो यहां के लोगों में उम्मीदें जगी थी कि राज्य में पहली बार बहुमत की सरकार बनी है, तो काम भी तेजी से होगा. लेकिन दुर्भाग्य ही है कि इस प्रदेश के लिए जब रघुवर सरकार ने झाविमो के छह विधायकों को तोड़कर […]
जब 2014 में रघुवर दास गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, तो यहां के लोगों में उम्मीदें जगी थी कि राज्य में पहली बार बहुमत की सरकार बनी है, तो काम भी तेजी से होगा.
लेकिन दुर्भाग्य ही है कि इस प्रदेश के लिए जब रघुवर सरकार ने झाविमो के छह विधायकों को तोड़कर अपने पाले में लाने में सफल रहे और एक बार फिर झारखंड के माथे पर कलंक का टीका लगाने की दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई. झाविमो से आये छह विधायकों में से कुछ को मंत्री पद, बोर्ड निगम के अध्यक्ष पद से भी पुरस्कृत किया गया.
इसी से अस्पष्ट हो गयी सरकार की मंशा. आज दो साल बीत चुके हैं फिर भी दल-बदल के मामले विधानसभा अध्यक्ष और हाईकोर्ट में लंबित है. क्यों न ऐसे बिकाऊ विधायकों पर हाईकोर्ट और विधानसभा जल्द फैसला देकर एक आदर्श पेश करे और झारखंड पर जो कलंक लगा है वह छूट सके!
अजय पटेल, इमेल से