नेता किसके सेवक!

सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर मुख्यमंत्री रघुवर दास जी ने अपने आवास पर बुधवार को सरकार की उपलब्धियां बतायीं एवं अफसरों को भी चेतावनी दी और कहा कि काम नहीं करनेवाले अधिकारी स्वेच्छा से नौकरी छोड़ कर चले जायें. तो क्या काम नहीं होने के जिम्मेदारी केवल अधिकारी की ही है, नेता इसके […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 30, 2016 5:49 AM
सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर मुख्यमंत्री रघुवर दास जी ने अपने आवास पर बुधवार को सरकार की उपलब्धियां बतायीं एवं अफसरों को भी चेतावनी दी और कहा कि काम नहीं करनेवाले अधिकारी स्वेच्छा से नौकरी छोड़ कर चले जायें. तो क्या काम नहीं होने के जिम्मेदारी केवल अधिकारी की ही है, नेता इसके लिए जिम्मेवार नहीं, उन्हें भी तो अपना उत्तरदायित्व निभाना चाहिये एवं अपने क्षेत्र में उचित विकास कार्य नहीं करने पर अपने पद छोड़ने की जिम्मेवारी लेनी चाहिए.
क्या अधिकारी ही जनता के सेवक हैं, नेता नहीं? हाल ही में आदित्यपुर में घटी एक घटना जिसमें पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट के आरोपियों को जमानत क्यों मिल गयी. क्योंकि वे बड़े नेता के बेटे थे. अधिकारी वर्ग तो प्रतियोगिता परीक्षाएं पास करके आते हैं, लेकिन नेता तो सीधे जनता द्वारा चुने जाते हैं, इसलिए जनता का सेवक पहले तो नेता हैं, फिर अधिकारी.
बिभा कुमारी सिंह, वीमेंस कॉलेज, जमशेदपुर

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