घोषणाओं पर अमल हो
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नव वर्ष की पूर्व संध्या पर किसानों, बुजुर्गों, छोटे कारोबारियों, गरीबों और गर्भवती महिलाओं के लिए वित्तीय राहत उपलब्ध कराने की घोषणाएं की हैं. नोटबंदी के 50 दिन पूरे होने पर उन्होंने फिर से भरोसा दिलाया है कि इससे होनेवाली परेशानियां बेकार नहीं जायेंगी और भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाई जारी रहेगी. […]
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नव वर्ष की पूर्व संध्या पर किसानों, बुजुर्गों, छोटे कारोबारियों, गरीबों और गर्भवती महिलाओं के लिए वित्तीय राहत उपलब्ध कराने की घोषणाएं की हैं. नोटबंदी के 50 दिन पूरे होने पर उन्होंने फिर से भरोसा दिलाया है कि इससे होनेवाली परेशानियां बेकार नहीं जायेंगी और भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाई जारी रहेगी. छोटे किसानों के कर्ज पर दो महीने की ब्याज माफ करने तथा नाबार्ड को सस्ते कर्ज के लिए वित्त मुहैया कराने से कृषि संकट से मुश्किलों का सामना कर रहे खेती के काम में लगे लोगों को मदद मिलने की गुंजाइश बनी है.
नकदी की कमी का असर भी इस तबके पर पड़ा है. इस वर्ष मॉनसून सामान्य रहने से बेहतर पैदावार की उम्मीद है. ऐसे में छोटे और मंझोले किसानों की आमदनी बढ़ सकेगी. इसी तरह से गरीबों को आवास के लिए आसान कर्ज तथा बुजुर्गों की जमा-पूंजी पर अधिक ब्याज देना भी सराहनीय कदम है. नोटबंदी के बाद बैंकों के पास जमा धन तथा कैशलेस प्रक्रिया के विस्तार को देखते हुए अनेक तरह की राहतों की आशा की जा रही थी.
जानकारों का मानना है कि आगामी बजट में भी कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएं की जा सकती हैं. प्रधानमंत्री ने देश को धन्यवाद भी दिया है कि लोगों ने सरकार के फैसले से पैदा हुई कठिनाइयों का सामना किया. पर अब असली सवाल यह है कि इन घोषणाओं को जल्दी अमली जामा पहनाया जाये और इस प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता बरती जाये ताकि ज्यादा-से-ज्यादा जरूरतमंदों को फायदा पहुंच सके. आसान कर्ज की नीतियां पहले भी घोषित की जाती रही हैं और अब भी कई योजनाएं चल रही हैं.
लेकिन अक्सर देखा जाता है कि सरकारी कामकाज में लापरवाही और बैंकों के उत्साह में कमी के कारण छोटे किसानों और कारोबारियों को ऐसी योजनाओं के तहत कर्ज नहीं मिल पाता है, या फिर उन्हें भ्रष्टाचार का शिकार होना पड़ता है. हालांकि प्रधानमंत्री ने इन अड़चनों को दूर करने का भरोसा दिया है, पर निचले स्तरों पर मुस्तैद रहने से ही घोषणाएं कारगर हो सकेंगी. इन घोषणाओं पर अमल से आवास के लिए जरूरी वस्तुओं की मांग बढ़ेगी. किसानों को होनेवाली बचत उनकी क्रय शक्ति में इजाफा करेगी.
बुजुर्ग भी ब्याज की अतिरिक्त आय को निवेशित कर पाने की स्थिति में होंगे. इन कारकों से बाजार की मौजूदा मंदी को कम करने में मदद मिल सकती है. आशा की जानी चाहिए कि संबद्ध सरकारी विभाग, बैंक और अन्य वित्तीय संस्थाएं लाभुकों तक इन्हें पहुंचाने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखेंगे