Advertisement
एक नयी सोच
इस भाग-दौड़ की जिंदगी में हम हमेशा बेटियों को भूल जा रहे हैं. आज भी बेटियों को हमारे समाज में एक बोझ माना जा रहा है. बहुत सारे लोग कन्या भ्रूण हत्या जैसे पाप कर रहे हैं और जिनकी बेटियां हैं, वे अपनी बेटियों को पढ़ने-लिखने की अनुमति नहीं दे रहे हैं. क्या बेटियों को […]
इस भाग-दौड़ की जिंदगी में हम हमेशा बेटियों को भूल जा रहे हैं. आज भी बेटियों को हमारे समाज में एक बोझ माना जा रहा है. बहुत सारे लोग कन्या भ्रूण हत्या जैसे पाप कर रहे हैं और जिनकी बेटियां हैं, वे अपनी बेटियों को पढ़ने-लिखने की अनुमति नहीं दे रहे हैं.
क्या बेटियों को पढ़ने का कोई हक नहीं है? क्या उनका काम बस कपड़े, बर्तन साफ करना और रोटी सेंकना ही है? अक्सर यह देखा जा रहा कि लोग बेटी को जन्म देने के कुछ समय बाद से ही उसकी शादी में जो दहेज देना होगा, उसके लिए पैसे जमा करना शुरू कर देते हैं. आखिर क्यों होता है ऐसा? जो पैसे जमा कर रहे हैं, अगर उसी पैसे से बेटियों को पढ़ायेंगे-लिखायेंगे तो बेटियां अपने मंजिल को पा सकेंगी.आज इस नये साल के शुभ अवसर पर हम सब एक संकल्प करें कि बेटियों को बचायेंगे और बेटियों को पढ़ायेंगे.
मनीष बलियासे, देवघर
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement