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ऊंचा जीवन स्तर, घटता मूल्य
नववर्ष के अवसर पर बेंगलुरु में जो शर्मनाक घटना घटी, निश्चय ही समाज, राज्य और राष्ट्र के माथे पर कलंक का टीका है. जैसे-जैसे हमारा जीवन स्तर ऊंचा होता जा रहा है, आधुनिकता एवं पाश्चात्य संस्कृति के रंग में रंगकर हम सभी जीवन मूल्यों से निरंतर दूर जा रहे हैं, जो चिंतनीय है. नववर्ष हो […]
नववर्ष के अवसर पर बेंगलुरु में जो शर्मनाक घटना घटी, निश्चय ही समाज, राज्य और राष्ट्र के माथे पर कलंक का टीका है. जैसे-जैसे हमारा जीवन स्तर ऊंचा होता जा रहा है, आधुनिकता एवं पाश्चात्य संस्कृति के रंग में रंगकर हम सभी जीवन मूल्यों से निरंतर दूर जा रहे हैं, जो चिंतनीय है.
नववर्ष हो या पर्व त्योहार मौज-मस्ती आनंद मनाना हमारा अधिकार है लेकिन हमारा कर्तव्य भी है कि हम अपने आचरण को अशोभनीय न बनायें जिससे दूसरे व्यक्ति को कष्ट हो.
हमें अपने आत्मसंयम के प्रति जागरूक रहना ही चाहिए. हमारे युवाओं में अपराध प्रवृति फैशन बनता जा रहा है जिसे प्रशासन अथवा शक्ति प्रयोग के द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है. युवा पीढ़ी को आधुनिकता के साथ-साथ जीवन मूल्यों से जुड़े रहने की नितांत आवश्यकता है तथा फिल्मी या पाश्चात्य संस्कृति का अंधाधुंध नकल से परहेज करने की जरूरत है क्योंकि यही गलती हमें कष्ट सागर में ढकेल सकता है.
हरेराम सिंह, बरियातू, रांची
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