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आदिवासी का सुरक्षा कवच

आदिवासी की भूमि को बचाने के लिए शहीद बिरसा मुंडा और सिदो-कान्हू को अपने प्राणों की आहूति देनी पड़ी थी. झारखंड के विकास में एसपीटी और सीएनटी एक्ट किसी भी प्रकार से बाधक नहीं बना. यहां तक कि एचईसी, मेकॉन, डीवीसी, बोकारो और जमशेदपुर स्टील प्लांट और बड़े-बड़े डैम का निर्माण भूमि को अधिग्रहित कर […]

आदिवासी की भूमि को बचाने के लिए शहीद बिरसा मुंडा और सिदो-कान्हू को अपने प्राणों की आहूति देनी पड़ी थी. झारखंड के विकास में एसपीटी और सीएनटी एक्ट किसी भी प्रकार से बाधक नहीं बना.
यहां तक कि एचईसी, मेकॉन, डीवीसी, बोकारो और जमशेदपुर स्टील प्लांट और बड़े-बड़े डैम का निर्माण भूमि को अधिग्रहित कर के किया गया है, तो फिर इसमें बदलाव की आवश्यकता क्या है? क्या इसमें परिवर्तनके लिए किसी ने आवेदन दिया था, याकिसी पार्टी ने धरना प्रदर्शन किया था, या बीजेपी के चुनाव घोषणा पत्र में था? जब ऐसा नहीं था तो फिर क्यों इसमें बदलाव किया जा रहा है. उत्तर स्पष्ट है कि बड़े-बड़े कॉरपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए एक्ट में परिवर्तन कर रहे हैं और विकास के नाम पर आदिवासी के आंख में धूल झोंकना चाहते हैं.
मो अबुल खैर, गोड्डा

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