एक सैनिक की गुहार

अगर लोकतंत्र में सबकुछ जनमत से ही तय होना है, तो फिर जनता को इतना सक्षम होना चाहिए कि वह जनमत बनाने में सीधे भागीदारी करे. अखबार, रेडियो, टेलीविजन के होते जनमत के निर्माण में उसकी सीधी भागीदारी कभी संभव न हुई. दर्द अपना था, लेकिन इस दर्द का बयान किसी और (जैसे रिपोर्टर, संपादक, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 11, 2017 6:44 AM
अगर लोकतंत्र में सबकुछ जनमत से ही तय होना है, तो फिर जनता को इतना सक्षम होना चाहिए कि वह जनमत बनाने में सीधे भागीदारी करे. अखबार, रेडियो, टेलीविजन के होते जनमत के निर्माण में उसकी सीधी भागीदारी कभी संभव न हुई. दर्द अपना था, लेकिन इस दर्द का बयान किसी और (जैसे रिपोर्टर, संपादक, एंकर आदि) की जबान और कलम का मुंहताज था.
लेकिन आज अपना दुख-दर्द, आक्रोश और प्रतिरोध, अपने आस-पास पसरे व्यवस्था के विद्रूप को सीधे अपनी आंख और जबान से बयान करना न सिर्फ संभव है, बल्कि इसे तुरंत-फुरंत लोगों की नजर में लाना और हासिल होती सहानुभूति के दम पर किसी संस्थान, चाहे वह कितना भी ताकतवर क्यों न हो, को अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए मजबूर करना रोजमर्रा का चलन बन चला है. नागरिक की इस सीधी भागीदारी का यह कमाल हुआ है सोशल मीडिया के प्लेटफार्म के जरिये. क्या फेसबुक के बिना सीमा सुरक्षा बल के एक जवान का यह दुख सार्वजनिक हो पाता कि उसे सुबह छह बजे से शाम पांच बजे तक की भारी मशक्कत वाली ड्यूटी जाड़े-पाले, गर्मी-बरसात में जली रोटी और पनीले दाल खाकर निभानी पड़ती है?
फेसबुक नहीं होता, तो वह सैनिक कैसे दिखा पाता अपने दुख-दर्द के प्रमाण के वे चार वीडियो जिसे आज मीडिया में सैन्य महकमे में व्याप्त व्यापक भ्रष्टाचार की सूचना के रूप में पढ़ा जा रहा है? वीडियो के सार्वजनिक होते ही खलबली का आलम है. लोगों में गुस्सा है कि देश के प्रहरी भूखे रहने को मजबूर क्यों हैं? बौखलाहट में सीमा सुरक्षा बल का नेतृत्व इस जवान पर अनुशासनहीनता के आरोप मढ़ रहा है, परंतु सरकार के लिए स्थिति की अनदेखी मुश्किल है.
सो, गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने गृह सचिव को तलब किया है और स्थिति की मांग के आधार पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. इस जवान ने अपनी पहचान उजागर कर बड़े साहस का परिचय दिया है. उसका साहस सामान्य नागरिकों के लिए एक सबक है कि आसपास हो रहे अन्याय पर आवाज उठाना लोकतंत्र को मजबूत बनाने का कदम साबित हो सकता है. उम्मीद है कि सरकार उक्त जवान की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए समुचित कदम उठायेगी.

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