सरकार की मंशा

राजमहल परियोजना के ललमटिया में दुर्घटना हुए 15 दिन हो गये. अब तक बहुत कुछ हुआ. सीएमडी आये और गये. सरकार के लोग आये, चले गये. विपक्ष न्याय की मांग को लेकर अड़े हैं. कुछ आए व चले गये. उनके आने और चले जाने से क्या फर्क पड़ा? मलबे में दबे लोगों एवं उनके परिवार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 13, 2017 12:57 AM
राजमहल परियोजना के ललमटिया में दुर्घटना हुए 15 दिन हो गये. अब तक बहुत कुछ हुआ. सीएमडी आये और गये. सरकार के लोग आये, चले गये. विपक्ष न्याय की मांग को लेकर अड़े हैं. कुछ आए व चले गये. उनके आने और चले जाने से क्या फर्क पड़ा? मलबे में दबे लोगों एवं उनके परिवार को क्या मिला. राजमहल खनिक समूहों की भूमिका ने हमें संदेह में डाल दिया है.
वह एक किलोमीटर गहराई में जाकर कोयला खनन करने में सक्षम है, लेकिन मजदूर जब दबे हैं, तो उनको निकाल नहीं सकता है. बिना शवों को निकाले, उनके परिवार को बिना सहायता प्रदान किये, सहयोग के लिए बिना हेल्पलाइन नंबर जारी किये, खनन कार्य शुरू करना मानवता को कहां धकेल रही है. वह जब यूपी एवं बिहार छत्तीसगढ़ से आये मजदूरों के शवों को नहीं निकाल रहे हैं, तो आदिवासियों का भला वे नहीं कर सकते.
सुभाष हेम्बरोम, गोडडा.

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