संकल्प और संदेश

तकरीबन तीन करोड़ लोग. हाथ में हाथ जोड़े हुए. ग्यारह हजार किलोमीटर से अधिक लंबी शृंखला. संकल्प एक. संदेश एक. बिहार से शराब और शराब की लत को पूरी तरह से समाप्त करना. नीतीश कुमार ने राज्य की जनता से किये गये अपने वादे को निभाते हुए अप्रैल, 2016 में जब शराबबंदी को लागू किया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 23, 2017 6:11 AM
तकरीबन तीन करोड़ लोग. हाथ में हाथ जोड़े हुए. ग्यारह हजार किलोमीटर से अधिक लंबी शृंखला. संकल्प एक. संदेश एक. बिहार से शराब और शराब की लत को पूरी तरह से समाप्त करना. नीतीश कुमार ने राज्य की जनता से किये गये अपने वादे को निभाते हुए अप्रैल, 2016 में जब शराबबंदी को लागू किया था, तब इसके ध्येय और इसकी सफलता को लेकर कई सवाल उठाये गये थे.
कई अड़चनें भी आती रहीं. पर इस वृहत मानव शृंखला में सभी राजनीतिक दलों, अधिकारियों तथा जनता के विभिन्न तबकों की भागीदारी ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि इस प्रयास में सभी एकजुट है और इस निर्णय के साल भर पूरा होते-होते बिहार को पूरी तरह से शराब के चंगुल से मुक्त करा लिया जायेगा. इस संदेश के साथ लक्ष्य प्राप्ति का संकल्प भी ऊर्जावान हुआ है. शराबबंदी की घोषणा के समय राजस्व घाटे और लागू करने में प्रशासनिक समस्याओं को लेकर बहस हो रही थी, पर इस निर्णय का उद्देश्य और इसके संभावित परिणामों का दायरा कहीं बहुत अधिक व्यापक है.
गांधीजी ने कहा था कि शराब शरीर और आत्मा दोनों को खोखला कर देती है. इस वचन को ठीक से समझें, तो नीतीश सरकार के इस फैसले के विभिन्न आयामों को भी समझा जा सकता है. शराब न सिर्फ व्यक्ति की कमाई लूटती है, बल्कि उसके स्वास्थ्य और मानसिक क्षमता का ह्रास भी करती है. परिवार और समाज की शांति के लिए खतरा पैदा करती है तथा पीढ़ियों के भविष्य में अंधेरा पसारती है. बिहार या देश के किसी अन्य हिस्से में बीते कई दशकों में शायद ही इस तरह की कोई ठोस पहल हुई है, जो सामाजिक बदलाव का मजबूत आधार बन सके. बिहार एक ऐसे परिवर्तन का साक्षी हो रहा है, जिसके प्रभाव को सदियों तक महसूस किया जायेगा. निश्चित रूप से शराबबंदी राजनीतिक सूझ और इच्छाशक्ति का प्रमाण है.
परंतु, जिस तरह से बिहार के लोगों ने इसे सफल बनाने में योगदान दिया है, वह न सिर्फ इस फैसले को सही साबित करता है, बल्कि यह भी इंगित करता है कि सरकारें यदि लोक हित में कदम उठायेंगी, तो जनता भी कदमताल करते हुए उनके साथ चलेगी. लेकिन, अभी बहुत काम बाकी है.
शराबबंदी के फायदे के बारे में जन-जन तक जानकारी पहुंचानी है. इसकी लत के शिकार लोगों को सहानुभूति के साथ समझाना-बुझाना है. चोरी-छिपे शराब के आपराधिक धंधे में लगे लोगों को सही राह पर लाना है. यह सब काम अकेले सरकार का नहीं, इसके लिए समाज के हर एक सदस्य को भी अपनी सकारात्मक भूमिका निभानी है.

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