ट्रंप की संरक्षणवादी नीति

बतौर अमेरिकी राष्ट्रपति अपने पहले भाषण में डोनाल्ड ट्रंप का संदेश बिल्कुल स्पष्ट था- ‘अमेरिका फर्स्ट.’ यह संदेश दुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्था के संरक्षणवादी दौर में दाखिल होने का उद्घोष था. चुनावी वायदे के अनुरूप ट्रंप ने 12 देशों के समूह- ट्रांस पैसिफिक पार्टनरशिप (टीपीपी)- से आधिकारिक रूप से अमेरिका के अलग होने घोषणा कर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 25, 2017 6:09 AM
बतौर अमेरिकी राष्ट्रपति अपने पहले भाषण में डोनाल्ड ट्रंप का संदेश बिल्कुल स्पष्ट था- ‘अमेरिका फर्स्ट.’ यह संदेश दुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्था के संरक्षणवादी दौर में दाखिल होने का उद्घोष था. चुनावी वायदे के अनुरूप ट्रंप ने 12 देशों के समूह- ट्रांस पैसिफिक पार्टनरशिप (टीपीपी)- से आधिकारिक रूप से अमेरिका के अलग होने घोषणा कर दी है.
साथ ही, उन्होंने ‘नॉर्थ अमेरिकन फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (नाफ्टा) से भी अलग होने और बाहरी कंपनियों के उत्पादों पर सीमा शुल्क लगाने का संकेत दे दिया है. व्यापार बाधाओं को कम करने और व्यापार को सुगम बनाने के उद्देश्य से पूर्ववर्ती राष्ट्रपतियों द्वारा उठाये कदमों के विपरीत चल रही ट्रंप नीति के अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर संभावित असर के बारे में अभी कुछ कह पाना ठीक नहीं है, क्योंकि यह नीति अभी आकार ले रही है.
अमेरिकी व्यापार समूहों के आकांक्षाओं के अनुरूप टीपीपी समझौता पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा एशियाई व्यापार क्षेत्र में नेतृत्व करने और चीन के प्रभावों को रोकने की दिशा में बेहद महत्वाकांक्षी कदम था. हालांकि, इस समझौते को अमेरिकी कांग्रेस द्वारा मंजूरी नहीं मिल सकी थी.
नौकरियां बढ़ाने के उद्देश्य से ट्रंप प्रशासन बहुपक्षीय व्यापार समझौते के बजाय द्विपक्षीय व्यापार समझौतों को तरजीह देने की राह पर है. टीपीपी से हटने का फैसला भी इसी दिशा में उठाया गया कदम है. ट्रंप अप्रवासी और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मसलों के साथ नाफ्टा समझौते पर फिर से चर्चा करना चाहते हैं. इस समझौते पर 1994 में अमेरिका, कनाडा और मेक्सिको के बीच अंतरदेशीय व्यापार के लिए शून्य प्रतिशत शुल्क जैसे मुद्दों के साथ सहमति बनी थी. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या मेक्सिको और कनाडा शुल्क रहित अमेरिकी उत्पादों को स्वीकार करेंगे और अमेरिका में शुल्क देने के लिए राजी होंगे. हालांकि, नाफ्टा अमेरिका के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित हुआ है.
आज ऑटोमेशन में आयी तेजी की वजह से मैन्युफैक्चरिंग श्रमिकों के लिए चुनौती बढ़ी है. अमेरिका में व्यापार से कहीं ज्यादा ऑटोमेशन तकनीकें श्रमिकों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही हैं. इन समस्याओं को हल करने में ट्रंप की संरक्षणवाद की नीति की सफलता से पहले निम्न आय वर्ग के लोगों के महंगाई के चंगुल में जाने से बचाने की चुनौती होगी.

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