आपसी सामंजस्य की कमी

जो मनुष्य सोने का उपक्रम कर रहा है, उसे जगाना असंभव है. भारत की राजनीति में बहुत से लोग सोने का स्वांग ही कर रहे हैं. ऐसे लोग प्रत्येक मुद्दे पर बोलते हैं. वो आरंभ से ही मान कर चलते हैं कि उन्हें खुलकर विरोध करना है, चाहे विषय कितने ही गंभीर क्यों ना हो. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 30, 2017 12:13 AM
जो मनुष्य सोने का उपक्रम कर रहा है, उसे जगाना असंभव है. भारत की राजनीति में बहुत से लोग सोने का स्वांग ही कर रहे हैं. ऐसे लोग प्रत्येक मुद्दे पर बोलते हैं. वो आरंभ से ही मान कर चलते हैं कि उन्हें खुलकर विरोध करना है, चाहे विषय कितने ही गंभीर क्यों ना हो. ऐसे लोग देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जाकर अपनी बेबाक राय दे आते हैं.
उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता है कि उनके ऐसे आचरण से दुश्मनों के हौसले बुलंद हो जाते हैं. भारतीय राजनीतिज्ञों को इतिहास सबक लेना चाहिए. झूठी शान-शौकत के प्रदर्शन और आपसी फूट के कारण भारत लंबे समय तक विदेशी ताकतों का गुलाम बन कर रह गया. आज राजनीतिज्ञों में आपसी सामंजस्य की कमी है, जिससे देश के दुश्मनों को फायदा पहुंचता है. राजनीतिज्ञों को आपस में मिलकर सभी मुद्दों को सुलझाने का प्रयास करना चाहिए, ताकि देश प्रत्येक क्षेत्र में प्रगति कर सके.
जय प्रकाश चौधरी, बांका, बिहार

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