ट्रंप का विवादित फरमान
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने बड़े चुनावी वादे को अमली जामा पहनाते हुए शरणार्थियों और सात देशों के लोगों को अमेरिका आने पर पाबंदी लगा दी है. सभी शरणार्थियों पर 120 दिनों का तथा ईरान, इराक, सूडान, सीरिया, लीबिया, सोमालिया और यमन के लोगों पर 90 दिनों का अस्थायी प्रतिबंध लगाया गया है. इस अवधि […]
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने बड़े चुनावी वादे को अमली जामा पहनाते हुए शरणार्थियों और सात देशों के लोगों को अमेरिका आने पर पाबंदी लगा दी है. सभी शरणार्थियों पर 120 दिनों का तथा ईरान, इराक, सूडान, सीरिया, लीबिया, सोमालिया और यमन के लोगों पर 90 दिनों का अस्थायी प्रतिबंध लगाया गया है.
इस अवधि में आगे के लिए कड़े नियम बनाये जायेंगे. एक तरफ अनेक विद्वानों और उद्यमियों ने इस फैसले की कड़ी निंदा की है, वहीं इसे कानूनी चुनौती देने की भी तैयारी हो रही है. ट्रंप जल्दी ही अवैध आप्रवासियों को बाहर भेजने का ऐलान भी कर सकते हैं. आतंक के खात्मे के उद्देश्य से उठाये जा रहे इन कदमों की सफलता के बारे में निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता है तथा इनसे अमेरिकी अर्थव्यवस्था और शोध को नुकसान पहुंचने की आशंकाएं भी हैं.
शरणार्थियों को राहत मुहैया कराने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को भी बड़ा धक्का लगा है. अरब और अफ्रीका के अशांत देशों में स्थायी अमन-चैन के बिना वहां के लोगों को सुरक्षित आश्रय की तलाश से रोका नहीं जा सकता है. वहां शांति बहाल करने और शरणार्थी समस्या के समाधान की अधिक जिम्मेवारी ताकतवर और धनी देशों पर ही है. अमेरिका समेत ऐसे अनेक राष्ट्रों के सूत्र उन देशों के हिंसक संघर्षों की जटिलता से जुड़े हुए हैं.
बहरहाल, ट्रंप ने यह संकेत तो दे ही दिया है कि उनकी विदेश नीति पूर्ववर्ती प्रशासनों से पूरी तरह से अलग होगी. लेकिन अब अमेरिका पहले की तरह मानवाधिकारों की आड़ लेकर दूसरे देशों पर दबाव नहीं बना सकेगा. मुसलिम देशों के साथ ऐसी नीति अरब और अफ्रीका से जुड़े राजनीतिक, आर्थिक और सामरिक हितों को भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं.
पड़ोसी मेक्सिको से तनाव बढ़ ही रहा है. उल्लेखनीय है कि दशकों पहले अमेरिकी कांग्रेस ने राष्ट्रीयता के आधार पर आप्रवासियों में भेदभाव करने की नीति को गैरकानूनी करार दिया था. यदि ट्रंप के फरमान को कांग्रेस में या अदालत में खारिज कर दिया जाता है या उसे सीमित कर दिया जाता है, तो यह राष्ट्रपति के लिए बड़ा झटका होगा तथा इसका असर उनके पूरे कायर्काल पर पडेगा.
इन फैसलों के खिलाफ प्रदर्शन भी हो रहे हैं. अभी तो ट्रंप प्रशासन के दस ही दिन हुए हैं, पर राष्ट्रपति के आदेशों से अमेरिकी तंत्र समेत दुनिया चकित है. आनेवाले दिनों में उन्हें अपने सहयोगियों और पार्टी के नेताओं के असंतोष का सामना भी करना पड़ सकता है.