बेरोजगार बजट

भविष्य का बजट, हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने बजट की कमियों से पल्ला झाड़ने के लिए इसे यही नाम दिया है. कहां तो इसे एक ऐतिहासिक बजट कहकर अपेक्षित बनाया जाने वाला था, लेकिन जब वित्त मंत्री ने अपना पिटारा खोला तो इसमें आवंटन बढ़ाने, कालेधन पर रोक लगाने, कैशलेस इकोनॉमी के अलावा और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 3, 2017 6:44 AM
भविष्य का बजट, हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने बजट की कमियों से पल्ला झाड़ने के लिए इसे यही नाम दिया है. कहां तो इसे एक ऐतिहासिक बजट कहकर अपेक्षित बनाया जाने वाला था, लेकिन जब वित्त मंत्री ने अपना पिटारा खोला तो इसमें आवंटन बढ़ाने, कालेधन पर रोक लगाने, कैशलेस इकोनॉमी के अलावा और कुछ खास नहीं दिखा.
कृषि, रेलवे, शिक्षा, कॉर्पोरेट, कौशल विकास अदि के क्षेत्र में स्तरीय विकास की बातें कर इसे संतुलित बनाये रखने की कोशिश की गयी है. जहां रेल बजट को मर्ज कर इसे ऐतिहासिक बजट कहा जा रहा है, उस हिसाब से रेलवे में केवल सुधारों, टिकट मूल्यों के अलावा इसमें कोई बड़ा ऐलान करने से सरकार परहेज करती दिखी. जीएसटी को लेकर बजट प्रक्रिया के दौरान कोई ऐलान नहीं किया गया, इसलिए यह थोड़ी चिंताजनक स्थिति है.
महंगाई ज्यों की त्यों है. हालांकि सरकार ने टैक्स में छूट देकर आम आदमी को थोड़ी सी राहत दी है, लेकिन ये ऐसा है जैसे मांगी रसमलाई और मिला लड्डू. बेरोजगारी को कम करने के लिए भी कोई उपाय बजट में नहीं दिखा. शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए सरकार ने कदम उठाये, पर अगर शिक्षा के बाद रोजगार ही ना मिले, तो शिक्षा व्यर्थ मालूम पड़ती है. उम्मीद है सरकार जागेगी और सुध लेगी.
पूजा, भारतीय विद्या भवन, दिल्ली

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