देश की सेवा में लग जायें

यदि कोई देश अपने यहां वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, कामगारों इत्यादि को अपनी आवश्यकता के अनुसार प्रवेश देता है, तो क्या इसका मतलब यह लगाना चाहिए कि उस देश में प्रवेश पाने का यह सिलसिला अनंत काल तक जारी रहना चाहिए? विकासशील देशों से पलायन करके विदेशों में जा बसे महानुभाव उन देशों के विकास में अपनी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 3, 2017 6:44 AM
यदि कोई देश अपने यहां वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, कामगारों इत्यादि को अपनी आवश्यकता के अनुसार प्रवेश देता है, तो क्या इसका मतलब यह लगाना चाहिए कि उस देश में प्रवेश पाने का यह सिलसिला अनंत काल तक जारी रहना चाहिए?
विकासशील देशों से पलायन करके विदेशों में जा बसे महानुभाव उन देशों के विकास में अपनी भूमिका का बखान करते हुए अपनी पीठ थपथपाते फूले नहीं समाते हैं, लेकिन किसी देश को अल्प या दीर्घ अवधि के लिए विदेशी विद्वानों की जरूरत महसूस नहीं हो रही हो, तो उसे अपने नियम बदलने के लिए बाध्य करना कहां का न्याय होगा? जिस सेवाभाव से हम विदेशों में काम करते हैं वैसी भावना अपने देश में दिखानी चाहिए. सिंगापुर की सड़कों के किनारे थूकने से परहेज करनेवालों को अपने देश की सड़कों पर थूकने से पहले सोचना चाहिए. साथ ही विकासशील देशों में अपने धर्मस्थल संभाले नहीं जाते, लेकिन यहां की दोहरी नागरिकता वाले महानुभावों में विदेशों में धर्मस्थल बनाने की होड़ क्यों है?
अभी तो ट्रंप के बाद सिर्फ कुवैत ने पांच देशों के नागरिकों पर बंदिश लगाई है. अभी भी सचेत होकर सभी विकासशील के नागरिक अपने देश की सेवा में लग जायें, सब का भला होगा.
लोकेश कुमार, धनबाद

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