29.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

क्षेत्रीय फिल्मों पर ध्यान

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा दिल्ली में पहले भोजपुरी फिल्म फेस्टीवल का आयोजन एक सराहनीय पहल है. आम तौर पर ऐसे आयोजन देश-विदेश के स्थापित फिल्म उद्योगों और भाषाओं की फिल्मों के प्रदर्शन के लिए किये जाते हैं. भोजपुरी समेत अनेक बोलियों-भाषाओं की फिल्मों से इस तरह के आभिजात्य समारोह इस आधार पर परहेज […]

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा दिल्ली में पहले भोजपुरी फिल्म फेस्टीवल का आयोजन एक सराहनीय पहल है. आम तौर पर ऐसे आयोजन देश-विदेश के स्थापित फिल्म उद्योगों और भाषाओं की फिल्मों के प्रदर्शन के लिए किये जाते हैं. भोजपुरी समेत अनेक बोलियों-भाषाओं की फिल्मों से इस तरह के आभिजात्य समारोह इस आधार पर परहेज करते हैं कि इनकी गुणवत्ता अपेक्षाकृत कमतर है.
इस मसले पर बहस की गुंजाइश है, परंतु यह बात तो निर्विवाद है कि भोजपुरी, मगही, मैथिली, संथाली, नागपुरी जैसे तमाम भाषाओं में सिनेमा और गीत-संगीत को बेहतर बनाने में सरकारों को मदद करनी चाहिए. इन बोलियों-भाषाओं में रचनात्मक सृजन की व्यापक संभावनाएं हैं और उनके लिए बड़ा बाजार भी मौजूद है. भोजपुरी की फिल्में अच्छा व्यवसाय करती हैं, संथाली और नागपुरी में बड़ी संख्या में म्यूजिक वीडियो बनते हैं तथा लोकप्रिय होते हैं. इन्हें कला और विषय-वस्तु के स्तर पर बेहतर करने के लिए समुचित संसाधन और सुविधाएं मुहैया कराना केंद्र और राज्य सरकारों की जिम्मेवारी है.
राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न भाषाओं में गंभीर फिल्मों के निर्माण और प्रदर्शन के लिए सरकारी सहायता दी जाती है, पर बिहार और झारखंड की भाषाओं के हिस्से में कुछ नहीं आता है. बिहार में कला एवं संस्कृति मंत्रालय के तहत फिल्म विकास के निगम हैं, पर वे बेहद जड़ता और लापरवाही के शिकार हैं. सांस्कृतिक महत्व के साथ-साथ मनोरंजन और कारोबार के लिहाज से भी स्थानीय भाषाओं की फिल्मों का विकास एक बड़ी जरूरत है. सरकारी उपेक्षा का एक नकारात्मक परिणाम यह हुआ है कि फिल्मों और गीतों के नाम पर अश्लीलता, फूहड़पन और कुंठा को परोसकर पैसा कमाने की होड़ मच गयी है.
इससे स्थानीय भाषाओं में रचनात्मकता और सामाजिक यथार्थ के चित्रण के लिए जगह लगातार कम होती गयी है. दिल्ली के भोजपुरी फिल्म फेस्टीवल में दिखायी गयीं दस फिल्मों में कुछ ऐसे चयन भी हैं, जिन्हें देख कर यह कहना कठिन हो जाता है कि ये फिल्में भोजपुरी भाषा और सिनेमा को समृद्ध करती हैं या नुकसान पहुंचाती हैं. बहरहाल, शुरुआत की सराहना होनी चाहिए, पर अच्छे नतीजों के लिए कई स्तरों पर बहुत-कुछ करना अभी बाकी है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें