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हाफिज सईद का पैंतरा

आतंकी सरगना हाफिज सईद फिलहाल नजरबंद है और उसके संगठन जमात-उद-दावा पर पाबंदी लगा दी गयी है. लेकिन उसने नये बैनर के तहत भारत-विरोधी अभियान फिर से छेड़ दिया है. वर्ष 2008 के मुंबई हमले की साजिश रचनेवाला सईद कश्मीर में आतंकी गतिविधियों के लिए वैचारिक और आर्थिक मदद मुहैया कराता है. उसे पाकिस्तानी सत्ता […]

आतंकी सरगना हाफिज सईद फिलहाल नजरबंद है और उसके संगठन जमात-उद-दावा पर पाबंदी लगा दी गयी है. लेकिन उसने नये बैनर के तहत भारत-विरोधी अभियान फिर से छेड़ दिया है. वर्ष 2008 के मुंबई हमले की साजिश रचनेवाला सईद कश्मीर में आतंकी गतिविधियों के लिए वैचारिक और आर्थिक मदद मुहैया कराता है. उसे पाकिस्तानी सत्ता और सैन्य तंत्र का वरदहस्त भी प्राप्त है.
हाफिज सईद के खिलाफ पुख्ता सबूतों के बावजूद पाकिस्तान ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है. मौजूदा नजरबंदी और पाबंदी भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आंखों में धूल झोंकने की कवायद ही है. हालांकि पाकिस्तानी सेना का कहना है कि सईद और उसके चार करीबियों पर कड़ाई नयी ‘राष्ट्रीय नीति’ के तहत ‘राष्ट्रीय हित’ के लिए की गयी है. लेकिन इस दावे में सच्चाई नहीं है. सईद नया संगठन बना कर अपनी हरकतों को अंजाम देने में जुट गया है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने एक बार फिर कश्मीर का राग छेड़ कर सईद और उसकी शह पर सक्रिय हिंसक अलगाववादियों का मनोबल बढ़ाया है.
जानकारों की राय है कि अमेरिका और चीन को तुष्ट करने के लिए सईद पर कार्रवाई की गयी है ताकि वैश्विक स्तर पर बढ़ते दबाव को कम किया जा सके. मसूद अजहर पर पाबंदी लगाने की मांग से ध्यान हटाने का इरादा भी इस फैसले की एक वजह है. कई महीनों की अशांति के बाद कश्मीर में हालात सुधरने से पाकिस्तानी सत्ता पर काबिज भारत-विरोधी तबके का बेचैन होना स्वाभाविक है. हाफिज सईद का कश्मीर का नाम जोड़ कर संगठन बनाना और नवाज शरीफ का बयान देना इसी बेचैनी के सबूत हैं.
यदि पाकिस्तान सचमुच सईद पर नकेल कसना चाहता है, तो उसकी गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लगाये. उस पर मुकदमा चलाकर दंडित करे. लेकिन अब तक के अनुभवों को देखते हुए ऐसी उम्मीद करना बेमानी है. तेजी से बदलते वैश्विक राजनीतिक, आर्थिक और सामरिक परिदृश्य में भारत को अपनी कूटनीतिक पहलों को भी धार देना होगा.
एक तो कश्मीर में अमन-चैन कायम करने तथा घाटी के लोगों के भरोसे को मजबूती देने की कोशिशों को बरकरार रखना होगा. दूसरी तरफ, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की असलियत को बताते रहने और उस पर दबाव बनाये रखने के प्रयास भी लगातार जारी रखने होंगे. पाकिस्तान को भी यह समझना होगा कि भारत समेत अन्य पड़ोसियों के विरुद्ध आतंकवाद को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की उसकी नीति खतरनाक और आत्मघाती है.

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