चीन ने रोका यूएन प्रस्ताव

सदाचार की किताबों में मित्र का लक्षण बताया गया है कि वह आपके सद्गुण सबके सामने लाता है और दुर्गुण को छुपाता तथा दूर करने की कोशिश करता है. लेकिन, राजनय की बात अनोखी है, वहां नैतिकता के सहज मानवीय नियम उलट जाते हैं. चीन, पाकिस्तान का सदाबहार दोस्त है और आर्थिक हित सधते हों, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 9, 2017 6:41 AM
सदाचार की किताबों में मित्र का लक्षण बताया गया है कि वह आपके सद्गुण सबके सामने लाता है और दुर्गुण को छुपाता तथा दूर करने की कोशिश करता है. लेकिन, राजनय की बात अनोखी है, वहां नैतिकता के सहज मानवीय नियम उलट जाते हैं. चीन, पाकिस्तान का सदाबहार दोस्त है और आर्थिक हित सधते हों, तो वह अपने सदाबहार दोस्त के हर अवगुण को सदाचार साबित करने के लिए मर्यादा की कोई भी सीमा लांघ सकता है.
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के पूरे होने से बंधी अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए चीन ने तय कर रखा है कि चाहे जो हो जाये, वह पाकिस्तानी हुक्मरान से अपने रिश्ते नहीं बिगाड़ेगा. बिगाड़ का यही डर रहा होगा, जो आतंकी मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने के यूएन के नये प्रस्ताव को उसने फिर से रोक दिया है, जबकि प्रस्ताव ब्रिटेन और अमेरिका के समर्थन से आया था. पठानकोट हमले में हाथ होने के सबूत मिलने पर मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने के लिए ऐसा ही प्रस्ताव भारत लेकर आया था.
तब भी इस पाकिस्तानी आतंकवादी की सरपरस्ती चीन ने की और प्रस्ताव मंजूरी के मुकाम तक ना पहुंचा. मसूद पर सोमालिया और ब्रिटेन से लेकर कश्मीर तक आतंकी वारदातों को अंजाम देने के आरोप हैं. पाकिस्तान अजहर के बनाये आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सहारे अपनी कश्मीर-हड़प की अनीति को चलाये रखना चाहता है. यह जरूरत उसे मसूद अजहर की गिरफ्तारी से रोकती है. अंतरराष्ट्रीय मंचों से पड़ रहे दबाव को नजरअंदाज करना मुश्किल हो, तो पाकिस्तान में मसूद अजहर की गिरफ्तारी का नाटक भी खेला जाता है.
पठानकोट हमले के बाद ऐसा ही हुआ, लेकिन गिरफ्तारी के बहाने इस आतंकी को पाकिस्तानी जेलों में सुरक्षित शरणगाह मुहैया कराया जाता है. विमान अपहरण के कांधार-कांड को अब डेढ़ दशक से ज्यादा हो रहे हैं और तकरीबन इतने ही वक्त से मसूद भारत की सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक चुनौती बना हुआ है. 1999 में इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट आइसी- 814 अपहृत हुआ, तो मसूद अजहर को भारत की जेल में बंद हुए पांच साल गुजर चुके थे. बंधक यात्रियों को छुड़ाने की मजबूरी के आगे उसको छोड़ना पड़ा.
कांधार से सीधे पाकिस्तान पहुंचे मसूद अजहर ने कराची में 10 हजार की भीड़ के बीच भारत को तबाह करने की धमकी दी थी और पाकिस्तानी हुक्मरानों ने कहा था हम गिरफ्तार कैसे करें, हमारी अदालत में उस पर कोई मुकदमा नहीं है. यूएन भी एक किस्म की अदालत ही है और चीन के आड़े आने से भारत के साथ इंसाफ यहां भी नहीं हो रहा. ऐसे में धीरज चूक जाये और भारत को मकसद पूरा करने के लिए अंगुली टेढ़ी करनी पड़े, तो क्या अचरज !

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