सड़क दुर्घटनाओं में शराब की भूमिका के बारे में समाज के हर वर्ग के नागरिक भलीभांति वाकिफ है. लेकिन मुझे ऐसा लगता की शराब से प्राप्त होने वाले राजस्व के लोभवश अथवा शराब/शराबियों के प्रति सदभावना रखने के कारण लोग इसके खिलाफ आवाज उठाने से हिचकते हैं. शराब पीकर चल रहे वाहनचालकों की जांच के लिए पुलिस को अल्कोहल-एनालाईजर मशीनें भी दी गई है.
लेकिन यक्ष-प्रश्न तो यह है कि इन मशीनों उपयोग पुलिस द्वारा समुचित ढंग से किया जा रहा है कि नहीं? इन मशीनों को रोज थानों से निकालकर सड़क पर चल रहे वाहनचालकों की जांच करने के लिए कोई दिशानिर्देश है भी या नहीं? कटु वास्तविकता तो यह है कि सड़क दुर्घटनाएं नित्य नये-नये कीर्तिमान स्थापित करती जा रही है. प्रशासन विभाग के उच्चाधिकारियों को भी इसकी मॉनिटरिंग करनी चाहिए. यदि न्यायपालिका के अधिकारी भी मौके पर पहुंचकर थोड़ी पूछताछ कर लेंगे तो सोने पर सुहागा हो जाएगा.
लोकेश कुमार, हीरापुर, धनबाद